नई दिल्ली (एडीएनए)।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खुद अपने देश में बनाने के फैसले के बाद अब रक्षा मंत्रालय निजी क्षेत्र के सहयोग से अपने सुखोई लड़ाकू विमानों के रखरखाव और अपग्रेडेशन के लिए निजी क्षेत्र से मदद लेने पर विचार कर रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों ऐसे फाइटर जेट देश में ही बनाने की योजना को मंजूरी दी है जो अभी तक केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास ही हैं। रक्षा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियों के बीच भारत ने अब पांचवी पीढ़ी के एक ऐसे लड़ाकू विमान के निर्माण की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाए हैं जिससे वह रक्षा के क्षेत्र में अमेरिका और रूस के बराबर खड़ा हो सकेगा। अब रक्षा मंत्रालय अपने सुखोई विमानों को अपग्रेड करने पर विचार कर रहा है, जिस पर जल्द फैसला हो सकता है।
वायुसेना के पास करीब ढाई सौ सुखोई लड़ाकू विमान हैं, जिसमें से कई कापी पुराने हो चुके हैं। पहलगांव में आतंकी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर और उसके बाद बन रहे हालातों को ध्यान में रख सरकार ने हर तरह से अपनी सेनाओं को मजबूत बनाने पर तेजी से काम शुरू किया है, कई क्षेत्रों में इस पर काम शुरू भी हो चुका है। इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने अपने पुराने सुखोई विमानों के अच्छे रखरखाव के साथ अपग्रेड करने पर विचार शुरू किया है। फिलहाल इन विमानों के रखरखाव की जिम्मेदारी एचएएल पर है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सुखोई के पुर्जे मिलने में दिक्कत हो रही है, इसलिए पुर्जे भारत में ही बनाने की पहल हुई है। इसके बावजूद कई विमान ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि उनको फिलहाल युद्ध में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। रक्षा मंत्रालय अब एचएएल और डीआरडीओ के साथ निजी क्षेत्र को शामिल कर इनके रखरखाव के साथ अपग्रेड करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। डीआरडीओ सुखोई के पुर्जे बनाएगा, साथ ही इनके अपग्रेडेशन में मदद करेगा।