नई दिल्ली (एडीएनए)।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति उद्योगपति एलन मस्क के बीच बढ़ते तनाव ने अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम को अनिश्चितता में डाल दिया है। दोनों हस्तियों के बीच हाल में सार्वजनिक टिप्पणियों और ट्वीट्स के आदान-प्रदान ने नासा और स्पेसएक्स के बीच साझेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ट्रंप-मस्क की लड़ाई अब सिर्फ राजनीतिक नहीं रही, बल्कि यह अमेरिका के वैश्विक अंतरिक्ष प्रभुत्व के लिए चुनौती बनती जा रही है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो इसकी कीमत अमेरिका को अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में झेलनी पड़ सकती है।
विवाद की जड़
ट्रंप ने हाल ही में एक रैली में मस्क पर "अमेरिका के हितों को कमजोर करने" का आरोप लगाया, जबकि मस्क ने एक्स) पर ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्हें "लोकतंत्र के लिए खतरा" बताया। यह टकराव तब और गहरा गया जब ट्रंप ने स्पेसएक्स के साथ नासा के मून मिशन (आर्टेमिस प्रोग्राम) और सैटेलाइट लॉन्चिंग जैसे करार खत्म करने औऱ मस्क की कंपनियों से सब्सिडी हटाने का ऐलान कर डाला। इसके जवाब में मस्क ने अपना ड्रैगन स्पेश क्राफ्ट वापस लेने का ऐलान कर दिया। यह वहीं कैप्सूल है जिसके जरिए महीनों से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलयम्स को धरती पर लाया गया था, तब ड्रंप ने भी मस्क की न केवल बड़ाई की थी बल्कि धन्यवाद दिया था।
अमेरिकी अंतरिक्ष मिशन पर प्रभाव
आर्टेमिस मून मिशन: स्पेसएक्स नासा को चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के लिए स्टारशिप रॉकेट विकसित कर रहा है। अगर सरकारी अनुबंध प्रभावित होते हैं, तो यह मिशन लेट हो सकता है।
सैटेलाइट लॉन्चिंग: अमेरिकी रक्षा विभाग स्पेसएक्स पर स्टारलिंक और अन्य उपग्रहों के लिए निर्भर है। राजनीतिक दबाव से इन परियोजनाओं में बाधा आ सकती है।
निजी अंतरिक्ष उद्योग: मस्क की कंपनी के अलावा, ब्लू ओरिजिन (बेजोस) और बोइंग जैसी कंपनियों के हित भी जुड़े हैं, जिन पर राजनीतिक माहौल का असर हो सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अंतरिक्ष नीति विश्लेषक डॉ. लिसा कार्लसन का कहना है, "अमेरिका अंतरिक्ष में अपनी अगुवाई बनाए रखना चाहता है, लेकिन अगर सरकार और निजी क्षेत्र एक-दूसरे के खिलाफ काम करेंगे, तो चीन और रूस को फायदा होगा।"