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दुनिया के भीषणतम विमान हादसे:जब आसमान बना मौत का मंजर

नई दिल्ली (एडीएनए)।

शुरुआती दौर में विमान हादसे आम बात थी लेकिन जैसे-जैसे नई तकनीकी के साथ आधुनिक विमान बनने लगे हादसे कम होते गए। अहमदाबाद में ड्रीमलाइनर के क्रैश होने के बाद एक बार फिर से विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ी है और पूराने हादसे याद कर नए सिरे से उनकी समीक्षा शुरू हुई है। कुछ विमान हादसे तो ऐसे हैं जिनकी याद आज भी रुह कंपा देती है। हम यहां आपके लिए आज तक के घातक विमान हादसों की लिस्ट लेकर आए हैं, ताकि आप इन हादसों से वाकिफ हो सकें और इनके कारण जान सकें...

विमानन तकनीक के तमाम विकास और सुरक्षा उपायों के बावजूद, हवाई यात्रा के इतिहास में कई ऐसे काले अध्याय दर्ज हैं, जब विमान हादसों ने सैकड़ों ज़िंदगियाँ लील लीं। ये हादसे न केवल मानवीय त्रासदी थीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा नीतियों और विमानन प्रणाली में व्यापक बदलाव का कारण भी बनीं। सबसे पहले दर्ज की गई विमानन हादसों में से एक 10 मई, 1785 को हुई थी, जब आयरलैंड के काउंटी ऑफली के टुल्लामोर में एक गर्म हवा का गुब्बारा दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। आग लगने से शहर को गंभीर नुकसान पहुंचा था, जिसमें 130 से ज़्यादा घर जल गए थे।

यह हस्तियां हुईं हादसे का शिकार

ड्रीमलाइनर हादसे में उसमें सवार 241 लोगों के सथ गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की भी मौत हुई। इससे पहले विमान हादसों में संजय गांधी, माधवराव सिंधिया, आंध्र के पूर्व सीएम वईएसआर, लोकसभा स्पीकर जीएमसी बावयोगी, भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत, कारोबारी ओपी जिंदल, अरुणाचंल प्रदेश के तत्कालीन सीएम दोरजी खांडू, अभिनेत्री सौंदर्या और देश के महान परमाणु वैज्ञानिक जहांगीर भाभा की जान जा चुकी है।

टेनेरिफ़, 1977

दो जंबो जेट्स की टक्करः 27 मार्च 1977 को स्पेन के कैनरी द्वीप स्थित टेनेरिफ़ हवाई अड्डे पर दो बोइंग विमानों की टक्कर में 583 लोगों की जान गई। खराब संचार, घने कोहरे और पायलट की जल्दबाज़ी इस भयावह हादसे के कारण बने।

 जापान एयरलाइंस फ्लाइट-123, 1985

एकल विमान दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें 12 अगस्त 1985 को जापान एयरलाइंस फ्लाइट-123 के दुर्घटनाग्रस्त होने से हुईं। तकनीकी मरम्मत में हुई चूक के कारण विमान का दबाव नियंत्रण फेल हो गया और यह पहाड़ी से टकरा गया। इस हादसे में 520 लोग मारे गए।

भारत में चरखी दादरी मिड-एयर कोलिजन, 1996

12 नवंबर 1996 को भारत के चरखी दादरी में एक सऊदी और एक कज़ाख विमान के बीच हवा में टक्कर हुई, जिसमें 349 लोग मारे गए। यह विश्व की सबसे घातक मिड-एयर कोलिजन थी। हादसे के बाद भारत में अर्धवृत्ताकार नियमलागू किया गया।

एयर इंडिया फ्लाइट-182, 1985

आतंकवाद का निशाना 23 जून 1985 को एयर इंडिया की फ्लाइट 182 अटलांटिक महासागर में बम विस्फोट से गिर गई, जिसमें 329 लोग मारे गए। यह घटना सिख चरमपंथियों द्वारा की गई आतंकवादी साजिश थी और उस समय की सबसे घातक विमानन आतंकी घटना थी।

पावर्ड एयरक्राफ्ट से जुड़ी पहली दुर्घटना

17 सितंबर, 1908 को संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जीनिया के फोर्ट मायर में राइट मॉडल ए एयरक्राफ्ट की दुर्घटना थी , जिसमें इसके सह-आविष्कारक और पायलट ऑरविल राइट घायल हो गए थे और यात्री, सिग्नल कॉर्प्स लेफ्टिनेंट थॉमस सेल्फ्रिज की मौत हो गई थी ।

MH370 और MH17

रहस्य और युद्ध का प्रभाव 2014 में मलेशिया एयरलाइंस की दो प्रमुख उड़ानें—MH370 (239 लोग लापता) और MH17 (298 मौतें) ने विश्व को स्तब्ध कर दिया। MH370 आज तक रहस्य बना हुआ है, जबकि MH17 को पूर्वी यूक्रेन में एक मिसाइल से गिरा दिया गया।

अन्य उल्लेखनीय घटनाएं

1-1980 में  सऊदी फ्लाइट 163 में आग लगने से 301 मौतें,  बावजूद इसके कि विमान सुरक्षित उतरा गया था।

2-1974 में तुर्की एयरलाइंस की उड़ान 981, कार्गो दरवाजे की खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त, 346 मौतें।

3-1988 में ईरान एयर 655 को अमेरिका के युद्धपोत द्वारा गलती से मार गिराया गया, जिसमें 290 लोगों की मौत हो गई थी।

11 सितंबर 2001

सबसे घातक विमानन त्रासदी 11 सितंबर 2001 को हुई, जब अमेरिका में चार वाणिज्यिक विमानों का अपहरण कर उन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, पेंटागन और पेंसिल्वेनिया के एक मैदान में टकराया गया। इस समन्वित आतंकवादी हमले में कुल 2,996 लोगों की मौत हुई। इसे वैश्विक सुरक्षा दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव वाली घटना माना जाता है।

हादसों के बाद विमानन उद्योग ने कई सुरक्षा उपाय अपनाए

1-कॉकपिट संसाधन प्रबंधन (CRM)               

2-मानकीकृत रेडियो संचार

3-विमान डिज़ाइन और रखरखाव में सुधार                 

4- यात्री स्क्रीनिंग और कार्गो जांच की नई प्रणाली

विमानन उद्योग ने इन त्रासदियों से बहुत कुछ सीखा

विमानन उद्योग ने इन त्रासदियों से बहुत कुछ सीखा है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि एक छोटी सी चूक भी कितनी बड़ी आपदा में बदल सकती है। तकनीकी प्रगति के साथ-साथ मानवीय सतर्कता और वैश्विक सहयोग ही इन दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोक सकते हैं।

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