दिल्ली (एडीएनए)।
देश-दुनिया में विमानों का अपना दिलचस्प इतिहास है। आइए हम आपको इनकी रोचकता से रूबरू कराते हैं। लड़ाकू और यात्री विमानों की शुरुआत 20वीं शताब्दी की शुरुआती दिनों में हुई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार 1903 में ओर्विल राइट और विल्बर राइट ने पहला सफल वायुयान उड़ाया था। वहीं, 1909 में लुई ब्लेरिओट ने मोनोप्लेन द्वारा इंग्लिश चैनल को क्रास कर सफलता अपने नाम दर्ज की। सबसे आश्चर्य की बात यह रही कि डाक विभाग ने हवाई डाक सेवा 1918 में शुरू की।
लड़ाकू विमान और यात्री विमानों में अंतर और उनकी खासियतें
लड़ाकू विमान और यात्री विमान दोनों के अपने-अपने काम का कार्यक्षेत्र होते हैं। इनकी डिज़ाइन, निर्माण सामग्री, ईंधन और उद्देश्य भी पूरी तरह से अलग-अलग होते हैं।
लड़ाकू विमान (Fighter Jets)
यह युद्ध, हवाई मुकाबला, दुश्मन के विमानों को नष्ट करना, जमीन पर हमला करना और रक्षात्मक कामों काे अंजाम देना। यह काफी फुर्तीले होते हैं और किसी देश के रडार को भी चमका देने में दक्ष होते हैं। यह अत्यक्षित हल्के और छोटे होते है ताकि आसानी से तेजी से किसी भी दिशा की ओर मुंड सकें और दुश्मनों के लड़ाकू विमानों का चकमा देकर लौट सके। इन विमानों में एक या दो पायलट ही होते हैं। यहीं विमानों को उड़ाते हैं और हमलों को भी खुद ही अंजाम देते हैं।
यात्री विमान (Commercial Airliners)
यह यात्रियों और सामान को सुरक्षित और आरामदायक तरीके से लाने ले जाने का काम करते हैं। यह दो तरीके के होते हैं। एक बड़े और भारी होते हैं। दूसरे छोटे और हल्के होते हैं। छोटे विमानों को निजी इस्तेमाल के तौर पर भी कुछ लोग रखते हैं। बड़े और भारी विमानों में सौ से आठ सौ लोग बैठ सकते हैं। इनकी गति औसतन आठ सौ से नौ सौ किमी प्रति घंटे होती है।
निर्माण सामग्री (Metals and Composites)
लड़ाकू विमान : हल्की और मजबूत धातुओं को विशेषतौर पर इनके निर्माण में प्रयोग किए जाते हैं। जैसे टाइटेनियम - यह गर्मी और दबाव सहने में मददगार होते हैं। एल्युमिनियम मिश्र धातु - यह वजन कम करने के लिए काफी कारगर होते हैं। कार्बन फाइबर और केवलर को स्टील और फाइबर की सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है। स्टील्थ टेक्नालॉजी के प्रयोग से विमानों के पेंट कराए जाते हैं।
यात्री विमान : एल्युमिनियम मिश्र धातु के प्रयोग से यह हल्के और टिकाऊ होते हैं। बोइंग और एयरबस श्रेणी के विमानों में कार्बन फाइबर का प्रयोग किया जाता है। इंजन और अन्य अहम हिस्सों में स्टील और टाइटेनियम का प्रयोग किया जाता है।
ईंधन (Fuel Difference)
लड़ाकू विमान : इन विमानों में उच्च ज्वलनशीट या उच्च ऑक्टेन रेटिंग वाला फ्यूल डाला जाता है। यह अन्य फ्लूय की तुलना में सौ गुना अधिक ज्वलनशील होता है। सैन्य विमानों में अधिक प्रयोग होता है क्योंकि यह अत्यधिक तापमान को सह सकते हैं।
यात्री विमान: इन विमानों में लड़ाकू विमानों की अपेक्षा कम ज्वलनशीट और सुरक्षित फ्यूल का प्रयोग होता है। यह लड़ाकू विमानों की अपेक्षा सस्ता भी होता है। लंबी दूरी तय करने में काफी सहायक होता है। दुनियाभर के सभी हवाईअड्डों पर यह उपलब्ध होता है।
इंजन और गति
लड़ाकू विमान : अफ्टरबर्नर वाले टर्बोफैन/टर्बोजेट (सुपरसोनिक स्पीड के लिए) इंजन प्रयोग होते हैं। इनके इंजन इतने शक्तिशाली होते हैं कि यह 2400 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। मैक 2+ (2400+ किमी/घंटा) (F-22, SU-57 जैसे विमान)।
यात्री विमान : हाई-बाईपास टर्बोफैन (ईंधन कुशल और कम शोर)। यह अधिकतम नौ सौ प्रति किमी घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। मैक 0.8 (900 किमी/घंटा) (बोइंग 747, एयरबस A380)।
लागत और रखरखाव
लड़ाकू विमान: यह काफी महंगे होते हैं। (F-35 की कीमत ~$80 मिलियन)। इनका रखरखाव काफी खर्चीला होता है।
यात्री विमान: लड़ाकू विमानों की अपेक्षा यह कम दामों पर मिलते हैं। 100 मिलियन से 400 मिलियन (बोइंग 787 ~$250M)। इनका नियमित रखरखाव जरूरी है।
रफ्तार में बड़ा अंतर
यात्री विमान (Commercial Airliners) और लड़ाकू विमान (Fighter Jets) की रफ्तार में बहुत बड़ा अंतर होता है। यात्री विमान आमतौर पर 500–900 किमी/घंटा की गति से उड़ते हैं, जबकि लड़ाकू विमान 2,000–3,500 किमी/घंटा (मैक 2 से मैक 3+) तक की सुपरसोनिक या हाइपरसोनिक रफ्तार भर सकते हैं।
मुख्य अंतर: यात्री विमान ईंधन की बचत और सुरक्षित यात्रा के लिए धीमी गति पर उड़ते हैं, जबकि लड़ाकू विमानों को तेज गति और मैन्युवरिंग की जरूरत होती है।
इंजन: यात्री विमान टर्बोफैन इंजन का उपयोग करते हैं, जबकि लड़ाकू विमानों में अत्यधिक शक्तिशाली अफ्टरबर्नर वाले टर्बोजेट इंजन होते हैं।
डिज़ाइन: यात्री विमान बड़े और भारी होते हैं, जबकि लड़ाकू विमान हल्के और एरोडायनामिक होते हैं।
दुनिया के सबसे तेज यात्री विमान
बोइंग 747-8 (अमेरिका)
गति: 1,060 किमी/घंटा (मैक 0.86)
(यह दुनिया का सबसे तेज़ यात्री विमान है, जिसे अमेरिका की बोइंग कंपनी ने बनाया है)
एयरबस A380 (यूरोप)
गति: 1,020 किमी/घंटा (मैक 0.85)
( दुनिया का सबसे बड़ा यात्री विमान, लेकिन बोइंग 747-8 से थोड़ा धीमा)
दुनिया के सबसे तेज़ लड़ाकू विमान
माइक्रोयान मिग-25 "फॉक्सबैट" (रूस)
गति: 3,500 किमी/घंटा (मैक 3.2)
( यह दुनिया का सबसे तेज़ लड़ाकू विमान है, जिसे सोवियत संघ ने बनाया था। यह अमेरिकी SR-71 ब्लैकबर्ड जितनी तेज़ी से उड़ सकता है)
लॉकहीड SR-71 ब्लैकबर्ड (अमेरिका)
गति: 3,540 किमी/घंटा (मैक 3.3)
( यह एक रिकॉनिसेंस विमान है, जो लड़ाकू विमानों से भी तेज़ उड़ान भर सकता है)
लॉकहीड मार्टिन F-22 रैप्टर (अमेरिका)
गति: 2,410 किमी/घंटा (मैक 2.25)
( यह दुनिया का सबसे एडवांस्ड स्टील्थ फाइटर जेट)
सुखोई Su-57 (रूस)
गति: 2,600 किमी/घंटा (मैक 2.45)
( रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट)
खास-खास : लड़ाकू विमान यात्री विमानों से कई गुना तेज़ होते हैं, क्योंकि उन्हें युद्ध के दौरान तेज़ी से हमला करने और बच निकलने की क्षमता चाहिए होती है। जबकि यात्री विमानों को ईंधन दक्षता और यात्री सुविधा पर ध्यान देना होता है।