नई दिल्ली (एडीएनए)।
थ्रस्ट नहीं मिल रहा..विमान नचे जा रहा है..मेडे.मेडे..मेडे, पायलट की तरफ से यह वह आखिरी संदेश है जो उसने एटीसी को भेजा, इसके महज 60 सेकेंड के अंदर विमान क्रैश हो गया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर सिन्हा के अनुसार अहमदाबाद में क्रैश एयर इंडिया का बोइंग-787 ड्रीलाइनर महज 650 फीट की उंचाई पर पहुंचने के बाद नीचे गिरने लगा था और एटीसी से संपर्क टूटने के महज 60 सेकेंड में क्रैश हो गया।
उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर सिन्हा के अनुसार पायलट की मे-डे कॉल के बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने पायलट से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन विमान से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने बताया कि विमान एयरपोर्ट से करीब दो किमी दूर गिरा।
पांच और शव मिले, मिरने वालों की संख्या 270 पहुंची
कई एजेंसियों की जांच के बीच मेडिकल कालेज और विमान के मलबे से 24 घंटे में पांच और शव मिले हैं, इससे मरने वालों की संख्या 270 पहुंच गी है। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ धवल ने बताया कि हादसे के बाद कुल 270 सिविल अस्पताल पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि बुरी तरह जल चुके शवों की डीएनए जांच जारी है, फिलहाल 31 शवों की पहचान की जा चुकी है और बाकी के लिए प्रयास जारी हैं। अभी तक गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी के शव की पहचान नहीं हो पायी है। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सिविल अस्पताल अहमदाबाद पहुंचे औऱ घटना के बारे में जानकारी ली। उन्होंने हादसे की जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।
11ए सीट सौभाग्यशाली या क्या वाकई सुरक्षित
27 साल पहले थाईलैंड में भीषण विमान हादसे और गुरुवार को अहमदाबाद विमान क्रैश में एक ऐसी चीज कामन रही जिसने विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। तब 27 साल पहले हादसे में भी 11ए नंबर की सीट पर बैठा सख्स जिंदा बचा था, जैसा कि अहमदाबाद हादसे में 242 लोगों में इस सीट पर बैठे अकेले रमेश विश्वास जिंदा बच पाए।
11 दिसंबर 1998 में थाई एयरवेज की फ्लाइट टीजी-261 थईलैंड के एक दलदल क्षेत्र में गिर गया था। हादसे में 146 यात्रियों में से 101 की मौत हो गई थी। उस विमान की 11ए सीट पर बैठे थाई अभिनेता रुआंगसाक लोईचुसाक जिंदा बच गए थे। अहमदाबाद हादसे के बाद 47 साल के हो चुके रुआंगसाक ने सोशल मीडिया पर अपने हादसे का घटनाक्रम शेयर किया है। इसके बाद पूरी दुनिया यह सोचने पर मजबूर है कि यह सीट सौभाग्यशाली है या वास्तव में विमान की यह सीट एकदम सुरक्षित है।
...लेकिन रूपाणी का लकी नंबर नहीं बचा सका
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का लकी नंबर 1206 था, उनकी स्कूटी और पहली कार से लेकर वर्तमान में जिस कार से चलते थे सभी का नंबर 1206 था। वह इस नंबर को लकी मानते थे और उनके यहां आने वाला हर वाहन इसी नंबर का होता था। रूपाणी इसी नंबर (तारीख) 12.06 को लंदन की यात्रा पर थे जहां उनकी बेटी रहती है और पत्नी पहले से वहां थीं, लेकिन प्लेन क्रैश हो गया और यह लकी नंबर (तारीख) उनकी आखिरी तारीख साबित हुई।