कानपुर (एडीअएनए)।पाकिस्तान को तबाह करने के लिए कानपुर के 30 ड्रोन भी भारतीय सेना के पास पहुंच गए हैं। ये ड्रोन सर्विलांस, हथियार पहुंचाने और भारत की तरफ से किए जाने वाले छोटे हमलों को कारगर बनाने में सक्षम हैं। इनमें कई ड्रोन दुश्मन के रडार को भी चकमा देने में माहिर हैं। ये सभी ड्रोन आईआईटी कानपुर में विकसित किए गए हैं और इनको एयरोस्पेस वैज्ञानिकों व युवा एंटरप्रिन्योर्स ने तैयार किया है। गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी हमले में जवाबी कार्रवाई में कानपुर के ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है या नहीं अभी इसकी सूचना नहीं है, लेकिन वर्तमान में भारत ने जिन ड्रोन का इस्तेमाल किया है, वह इजरायल और पोलैंड के हैं।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत कर करारा जवाब दिया जिससे बौखलाया पाकिस्तान तीन दिन से लगातार भारत पर हमला कर रहा है। सीमा पर मोर्टार, बम व भारी गोलीबारी के साथ उनकी मिसाइलें एयरपोर्ट और रहायशी इलाकों को निशाना बनाने का प्रयास कर रही हैं। पाकिस्तानी ड्रोन रिहायशी इलाकों में कहर बरपाना चाहते हैं लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने अब तक पाकिस्तान के सभी हवाई हमलों को विफल साबित किया है। भारत भी अपने आधुनिक ड्रोनों से ही पाकिस्तान को करारा जवाब दे रहा है। भारत के इस जखीरे में इजरायल, पोलैंड, रूस के साथ आईआईटी कानपुर के 30 अलग-अलग खूबियों वाले ड्रोन शामिल हैं। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक ने बताया कि सेना की अलग-अलग डिवीजन में यहां के ड्रोन का प्रयोग किया जा रहा है। पूर्व की जानकारी के मुताबिक नार्थ ईस्ट इलाके में आईआईटी कानपुर के अधिक ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। वर्तमान की स्थिति में कुछ भी कहना संभव नहीं है।
आईआईटी से मांगे हल्के व हाई-पेलोड ड्रोन
युद्ध की गंभीरता को देखते हुए भारतीय सेना ने अपना जखीरा और मजबूत करना शुरू कर दिया है। सेना की ओर से देश के विभिन्न संस्थान, कंपनियां या अनुसंधान केंद्रों में, जहां रिसर्च के बाद ड्रोन बन रहे हैं, अतिरिक्त मांग की गई है। प्रो. अभिषेक के मुताबिक सेना की ओर से आईआईटी कानपुर से भी मुख्य रूप से दो प्रकार के ड्रोन की मांग आई है। जिसे 25 मई तक ट्रायल के बाद सेना के लिए तैयार कर लेना है। इसमें एफपीवी ड्रोन और हाई पे-लोड ड्रोन शामिल हैं।
हमला करने में कारगर होगा एफपीवी ड्रोन
प्रो. अभिषेक के मुताबिक एफपीवी ड्रोन हल्के वजन वाले वेपेनाइज्ड ड्रोन हैं। जिसकी मदद से पाकिस्तान में आसानी से हमला किया जा सकता है। सेना की ओर से दो किमी की दूरी वाले छोटे वेपेनाइज्ड ड्रोन मांगे गए हैं।
दुरुस्थ व पहाड़ी इलाकों में जल्द पहुंचाएगा हथियार व सामग्री
सेना की ओर से हाई पे-लोड वाले ड्रोन की मांग हुई है। प्रो. अभिषेक के मुताबिक ये ड्रोन दुरुस्थ व पहाड़ी वाले इलाकों में आसानी से हथियारों का जखीरा या आपदा से जुड़े अन्य सामानों को पहुंचाने में सक्षम है।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल के अनुसार युद्ध के लिए सेना के जखीरे में ड्रोन समेत पर्याप्त हथियार हैं। सेना के पास आईआईटी में विकसित अलग-अलग टेक्नोलॉजी और सुविधाओं वाले कई ड्रोन हैं। अब इनका इस्तेमाल कहां और कैसे हो रहा है, यह जानकारी नहीं है।