कानपुर (एडीएनए)।
ड्रोन से अब सिर्फ सर्विलांस या फसलों को सुरक्षित रखने का काम नहीं होगा बल्कि बाढ़ से भी सुरक्षा मिलेगी। ड्रोन से तैयार सर्वे रिपोर्ट की मदद से आईआईटी का एप बाढ़ को लेकर अलर्ट करेगा। ड्रोन के सर्वे और रिमोट सेंसिंग के डाटा को एनालिसिस कर डिजिटल इलेवेशन मॉडल तैयार किया जाएगा। जिसके आधार पर आईआईटी कानपुर का एप बाढ़ आने से पहले ही अलर्ट करेगा। आईआईटी के इस एप फ्लड डिजास्टर रिस्पांस सिस्टम को लांच कर दिया गया है। इस एप को आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा की देखरेख में टेराएक्वा यूएवी स्टार्टअप ने विकसित किया है।
आईआईटी के वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा की देखरेख में विकसित फ्लड डिजास्टर रिस्पांस सिस्टम एप को मंडलायुक्त के विजयेंद्र पांडियन ने लांच किया। प्रो. राजीव सिन्हा ने बताया कि बाढ़ की प्रकोप से सुरक्षा प्रदान करने वाले एप की टेक्नोलॉजी और एल्गोरिदम पूरी तरह तैयार है। बस ड्रोन से सर्वे कर डाटा अपलोड करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि अभी तक पुराने अनुभवों के आधार पर नदियों में खतरे के निशान के करीब पानी आते ही आसपास गांव के लोगों को हटा दिया जाता है। जब अचानक पानी बढ़ता है तो कई गांव डूब जाते हैं और उसमें हजारों लोग फंस जाते हैं। इस एप की मदद से जलस्तर बढ़ने के साथ यह पता चलेगा कि बाढ़ का पानी कितने क्षेत्रफल को प्रभावित करेगा। साथ ही ऊंची-नीची जमीन के अनुसार नुकसान का भी आकलन बताएगा। किस क्षेत्र में कितना पानी भरेगा, यह भी पता चल जाएगा।
4000 हेक्टेयर में हुआ एप का सफल परीक्षण
प्रो. राजीव सिन्हा ने बताया कि इसका सफल ट्रायल बैराज के पास करीब 4000 हेक्टेयर में स्थित 23 गांव में किया गया है। क्योंकि बैराज से जल का स्तर अधिक होने और आसपास खेती के साथ सोसाइटी होने से प्रयोग पूरी तरह सफल रहा है। करीब आठ माह की लगातार रिसर्च के बाद यह एप विकसित हुआ है।
ड्रोन की मदद से मिलेगी एक्यूरेट जानकारी
प्रो. राजीव सिन्हा ने बताया कि अभी तक रिमोट सेंसिंग की मदद से डाटा तैयार किया जाता है। रिमोट सेंसिंग से डाटा पांच मीटर के अंतराल पर एनालिसिस के लिए आता है। जबकि ड्रोन की मदद से लिए गए डाटा 3 सेमी के अंतराल पर होते हैं, जो अधिक प्रभावी हैं। इस एप में ड्रोन और रिमोट सेंसिंग के डाटा को एनालिसिस कर डिजिटल इलेवेशन मॉडल विकसित किया है।
टाउन प्लानिंग और इंश्योरेंस में बनेगा मददगार
मंडलायुक्त के विजयेंद्र पांडियन ने कहा कि आईआईटी का एप भविष्य के लिए कारगर होगा। इस एप की मदद से सिर्फ बाढ़ के प्रकोप से बचाव नहीं होगा बल्कि टाउन प्लानिंग और इंश्योरेंस जैसी पॉलिसी बनाने में भी मदद मिलेगी। जिन क्षेत्रों में बाढ़ की अधिक संभावना होगी, उस क्षेत्रफल को विशेष रूप से टाउन प्लानिंग और अन्य योजनाओं में ध्यान रखा जाएगा।
प्रदेश के बाढ़ प्रभावित 48 जिलों को मिलेगा लाभ
मंडलायुक्त के विजयेंद्र पांडियन ने कहा कि आईआईटी के एप की मदद से प्रदेश के बाढ़ प्रभावित 48 जिलों को लाभ मिलेगा। इस एप की मदद से पता लग सकेगा कि पानी का जलस्तर बढ़ने पर कितना एरिया प्रभावित हो सकता है और किस हद तक नुकसान की संभावना है। इसको लेकर शासन में भी बात की जाएगी।
कानपुर में जल्द शुरू होगा सर्वे
मंडलायुक्त के विजयेंद्र पांडियन ने आईआईटी के साथ केडीए के टाउन प्लानर मनोज कुमार, सिंचाई विभाग के केपी पांडेय व प्रवीन कुमार को निर्देश दिया कि पूरे शहर का सर्वे कराएं। जिससे बाढ़ जैसी आपदा के प्रकोप से बचने के लिए इस एप का विस्तार रूप से मदद ली जा सके।
परीक्षण में ये गांव हुए शामिल
कानपुर ग्रामीण क्षेत्र, ख्योरा कटरी, कटरी शंकरपुर सराय, कटरी जियोरा नवाबगंज, कटरी लोधवा खेड़ा, कटरी लक्ष्मी खेड़ा, कटरी कानपुर कोहना, अगेहरा, गंगौली, कनिका मऊ, भटपुरवा, अरझोरा मऊ, लालूपुर, बनी, पिपरी, शंकरपुर सराय, सन्नी, मुस्तफा, पिंडोरवा, मनभौना, कन्हवापुर, लखमी खेड़ा, कटरी मिर्जापुर, पहाड़ीपुर।