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भारत का स्पेस सेक्टर में बड़ा कदमः एचएएल बनाएगा रॉकेट.. इसरो देगा तकनीक

नई दिल्ली (एडीएनए)।
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) देश में रॉकेट निर्माण का जिम्मा संभालेगा। इसरो (ISRO) अत्याधुनिक रॉकेट तकनीक अब HAL को हस्तांतरित करेगा, जिससे भारत में वाणिज्यिक और सामरिक दोनों उद्देश्यों के लिए रॉकेट उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

समझौते की खासियत

ISRO-HAL करार: इसरो और HAL के बीच एक ऐतिहासिक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एग्रीमेंट (TTA) हुआ है, जिसके तहत इसरो अपनी PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) तकनीक HAL को सौंपेगा। इस साझेदारी का उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष तकनीक को निजी और सार्वजनिक भागीदारी के ज़रिए तेज़ी से बढ़ाना है। यह पहल प्रधानमंत्री मोदी की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' योजनाओं के अंतर्गत की गई है।

HAL की भूमिका

रॉकेट असेंबली और मैन्युफैक्चरिंग: HAL अब इसरो के मार्गदर्शन में PSLV रॉकेटों का निर्माण करेगा। बेंगलुरु और तिरुवनंतपुरम इकाइयों में इसका निर्माण होगा। HAL की एयरोस्पेस डिवीजन और कॉर्पोरेट रिसर्च एंड डेवलपमेंट केंद्र इस प्रोजेक्ट की अगुवाई करेंगे। HAL, इसरो की तकनीक का उपयोग कर अन्य प्राइवेट कंपनियों को भी उत्पादन में भागीदारी का अवसर देगा।

इसरो को क्या मिलेगा

लॉन्चिंग पर फोकस: इसरो अब लॉन्चिंग और अनुसंधान पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेगा, जबकि HAL निर्माण से जुड़ी ज़िम्मेदारियां निभाएगा। HAL के साथ मिलकर इसरो को सस्ते और समयबद्ध रॉकेट उपलब्ध हो सकेंगे। ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि"यह साझेदारी भारत के स्पेस इकोसिस्टम को मजबूती देगी और कमर्शियल लॉन्चिंग के क्षेत्र में भारत को ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।" जबकि HAL चेयरमैन सी. बी. अनंतकृष्णन ने कहा कि"हम भारत में रॉकेट निर्माण को इंडस्ट्रियल स्केल पर लाकर इसे एक नया आयाम देंगे। HAL के पास वर्षों का एविएशन अनुभव है, जो अब अंतरिक्ष क्षेत्र में काम आएगा।"

करार की मुख्य बातें

₹511 करोड़ की बोली लगाकर घरेलू रक्षा एवं एयरोस्पेस कंपनी HAL ने SSLV तकनीक हासिल कीयह पहला मौका है जब कोई भारतीय कंपनी पूर्ण रूप से रॉकेट लॉन्च तकनीक हासिल कर रही है करार के तहत अगले 2 वर्षों में इसरो से हाथ मिलाकर HAL दो SSLV प्रोटोटाइप बनाएगा, उसके बाद HAL स्वतंत्र रूप से उत्पादन व वाणिज्यिक लॉन्चिंग करेगी  भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं अनुमोदन केंद्र ने इस समझौते को आधिकारिक रूप दिया है।

भविष्य की योजनाएं 

GSLV और SSLV जैसी तकनीकों को भी आगे चलकर HAL को ट्रांसफर किया जा सकता है। HAL भविष्य में अपने संसाधनों का उपयोग कर नए लॉन्च व्हीकल्स की डिजाइनिंग में भी सहयोग कर सकता है। ISRO और HAL की यह साझेदारी भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल घरेलू मांग को पूरा करेगी, बल्कि वैश्विक बाजार में भी भारत को सस्ती और भरोसेमंद लॉन्च सेवाओं का प्रदाता बनाएगी।

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