नई दिल्ली (एडीएनए)।
इजरायल और ईरान के बीच जंग में अमेरिका भी कूद गया। रविवार तड़के अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर्स जेटों और जीबीयू-57 से हमला बोला। उसने अपने सबसे खास हथियारों में से एक बी-2 स्चील्थ बॉम्बर से 30.000 पाउंड के मैसिव आर्डिनेंस पेनिट्रेटर या बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया। इस दौरान बिना रुके बी-2 बॉम्बर ने लगातार 37 घंटे उड़ान भरी।
बहुत खास है बी-2 बमवर्षक विमान, अकेले अमेरिका करता इस्तेमान
अमेरिका का यह बमवर्षक विमान अत्याधुनिक सैन्य साजो-सामान से लैस हैं। यह 11 हजार किलोमीटर तक बिना रुके उड़ान भर सकते हैं। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों इस्फहान, फोर्डो और नातांज को नष्ट करने के लिए इन्हीं जेटों का प्रयोग किया है। बी-2 बमवर्षक विमान किसी भी देश के रडार को चमका देने में सक्षम है। किसी भी ऊंचाई पर यह उड़ान भरने और चट्टान जैसे बंकरों को नेस्तानाबूद कर उसे बर्बाद कर सकते हैं। यह बॉम्बर एक साथ दो जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डिनेंस पेनेट्रेटर बम को ले जा सकता है। जानकार बताते हैं कि एक बम का वजन तीस हजार पाउंड के आसपास रहता है। करीब साढ़े 13 टन। जमीन के अंदर किसी भी गतिविधि को यह बम आसानी से क्षतिग्रस्त कर सकता है। जमीन के अंदर जाकर लक्ष्य को भेदने की वजह से इसे बंकर बस्टर भी कहा जाता है। अमेरिका ने इसे केवल अपने लिए बनाया है, तमा देशों को हथियर बेचने वाले अमेरिका ने इसे किसी को नहीं दिया।
60 फीट कंक्रीट को भेद देता जीबीयू-57
जीबीयू-57 बम अपने लक्ष्यों को निशाना लगाने में दक्ष है। यह बम इतना शक्तिशाली है कि 60 फीट की मजबूत कंक्रीट को भी तहस-नहस कर सकता है। यह पेलोड के साथ दूसरी युद्धक चीजे भी अपने साथ ले सकता है। इस बम को ले जाने के लिए बी-2 बॉम्बर्स को पक्षी के आकार का डिजाइन किया गया है। यह जेट परमाणु हथियारों को भी अपने साथ ले जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि 40 हजार पाउंड के हथियारों के साथ छह हजार मील की दूरी बिना ईंधन भर पूरी सकता है। 1997 में पहली बार सामने आए इस बमवर्षक विमान को दो पायलट उड़ाते हैं।
बी-2 बॉम्बर की विशेषता
1010 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ सकता है यह जेट
50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है
15 लाख किलोग्राम वजन के साथ उड़ सकता है
11 हजार किलोमीटर तक एकबार में उड़ता है
आखिर अमेरिका क्यों कूदा इस जंग में
ईरान और इजरायल के बीच लड़ाई में अमेरिका के कूदने की वजहों को विशेषज्ञ अपने-अपने तरीके से देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मध्य-पूर्व के क्षेत्र में अपना दमखम बनाए रखने के लिए अमेरिका इस जंग का हिस्सा बना है। वहीं, अमेरिका के खुलकर साथ आने पर इजरायल ने स्वागत किया है। जानकार बताते हैं कि इजरायल के पास अभी तक ऐसी मिसाइलें या बॉम्बर्स नहीं है जो कि ईरान के परमाणु संयंत्रों को नष्ट कर सकें। क्योंकि ईरान का फोर्डो परमाणु संयंत्र जमीन से 60 फीट नीचे बना हुआ है। अमेरिका के पास ऐसे जेट या बंकर ब्लास्टर हैं जिनकी मदद से फोर्डो परमाणु संयंत्र को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। संभवत: अमेरिका ने इन्हीं वजहों से अपने बॉम्बर्स को मैदान में उतारा है। ईरान के परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ही अमेरिका मैदान में उतरा है। एक दिन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद इसकी पुष्टि की। हालांकि चीन, रूस समेत तमाम देशों ने अमेरिका को चेताते हुए कहा था वह इस जंग में सीधे तौर पर शामिल न हो।
जवाब में ईरान का इजरायल के 14 शहरों पर अटैक, बढ़ा तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा
अमेरिकी हमले के तत्काल बाद ईरान ने इजरायल पर हमला तेज कर दिया। उसने रविवार सुबह इजरायल के 14 शहरों पर एक साथ अटैक किया। मिसाइलों के हमले से इजरायल में भारी तबाही देखी गई। इस घमासान से तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा मडराने लगा है। दो पक्षों में बंटे दुनिया के देशों से कुछ अमेरिकी हमले को सही बता रहे हैं तो दूसरा पक्ष कह रहा है ईरान पर हमला दादागीरी है और ईरान को अपना बदला लेने का पूरा हक है।