नई दिल्ली (एडीएनए)
ईरान और इजरायल के बीच जारी जंग में क्लस्टर बमों के प्रयोग से वैश्विक समुदाय सकते में आ गया है। इजरायल के डिफेंस फोर्सेज ने कहा कि ईरान ने क्लस्टर बम से हमला किया है।
जानकार बताते हैं कि क्लस्टर बम विध्वंसक बमों का एक गुच्छा होता है जो एक ही झटके में जमीन पर प्रलय मचा देता है। यह मिसाइल के जरिए विशेष इलाके में ले जाकर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद छोटे-छोटे बम समूहों में फैलते हैं और दगते हैं। एक क्लस्टर बम में हजारों की संख्या में छोटे-छोटे बम होते हैं। हालांकि 40 फीसदी बम नहीं फटते हैं। अगर सभी बम फटे तो विनाशकारी साबित हो। एक बम के फटने से फुटबाल मैदान के बराबर का हिस्सा मलबे में तब्दील हो जाता है।
छोड़ने के बाद नहीं होता है नियंत्रण
क्लस्टर बम फटने के बाद उसका असर करीब 10 किमी के दायरे में होत है। पूर्व में इजरायली सेना ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि ईरान के फेंके क्लस्टर बम का असर करीब आठ किलोमीटर के दायरे में रहा। एक बार छोड़ने के बाद इस बम पर नियंत्रण नहीं होता है। लक्षित लक्ष्य पर ही जाकर यह तबाही मचाता है। लैंडमाइन एंड क्लस्टर म्यूनिशन मॉनिटर का कहना है कि क्लस्टर बम का प्रयोग करने से अधिक नुकसान आम जनता को ही होता है। बच्चे और बुजुर्ग भी इसका शिकार होते हैं। जो बम नहीं फटते हैं, वह अगर किसी के हाथ लग और बाद में फटे में इलाका फट पड़ता है।
प्रतिबंध संधि पर 100 देशों ने किए हस्ताक्षर
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो क्लक्टर बमों के निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, क्लस्टर बम पर अंतरराष्ट्रीय संधि भी है जिसे 30 मई 2008 को आयरलैंड में अपनाया था। एक अगस्त 2010 से इसे लागू किया गया। इस संधि का उद्देश्य ऐसे बमों के इस्तेमाल, भंडारण, उत्पादन और वितरण पर प्रतिबंध लगाना है। इस बमों के प्रतिबंध संधि पर 100 से अधिक देशों ने अपने हस्ताक्षर किए। हालांकि भारत, अमेरिका, चीन और रूस में कई देशों ने हस्ताक्षर नहीं किए।