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ईरान-इजरायल युद्ध के बीच भारत की तैयारी तेज, सेना ने परखे आईआईटी के ड्रोन और किया समझौता

कानपुर (एडीएनए)

ईरान-इजरायल युद्ध संग अब दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की तरफ बढ़ रही है, इसके बीच में भारत लगातार अपनी सुरक्षा को लेकर तैयारी में जुटा है। जिस तरह युद्धों में अब ड्रोनों का प्रयोग होने लगी है, उसे देखते हुए भारत अपने ड्रोन बेड़े को लगातार मजबूत कर रहा है।

 सेना के वेस्टर्न कमांड हेडक्वार्टर्स के कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने मराल समेत आईआईटी में विकसित तमाम ड्रोनों का परीक्षण किया और उनको परखा कि युद्ध के दौरान वह कितने कारगर होंगे। उन्होंने आईआईटी के प्रो. अभिषेक और प्रो. सडरेला से यहां विकसित कई तरह के ड्रोनों की खासियतों के बारे में जाना। उन्होंने सीमा पर आने वाली विभिन्न चुनौतियों को साझा किया और उस लिहाज से ड्रोंनों की आवश्यकता बतायी। लेफ्टिनेंट जनरल कटियार को आईआईटी के प्रो. दीपू फिलिप ने स्मार्ट सिस्टम्स एंड ऑपरेशंस लैब, प्रो. नितिन सक्सेना ने सेंटर फॉर डेवलपिंग इंटेलीजेंट सिस्टम्स, प्रो. अभिषेक व प्रो. सडरेला ने ड्रोन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में बने यूएवी और सी3आई हब में विकसित की जा रिसर्च के बारे में जानकारी दी।

आईआईटी कानपुर और सेना के बीच समझौता

सेना के वेस्टर्न कमांड हेडक्वार्टर्स और आईआईटी कानपुर के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत सेना के अधिकारी सीमा पर विभिन्न चुनौतियों की जानकारी देंगे और आईआईटी के वैज्ञानिक उसका तकनीकी समाधान करेंगे। शुक्रवार देर रात हुए समझौते में आईआईटी के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल और वेस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने हस्ताक्षर किए। प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि सेना ने विभिन्न चुनौतियों को दूर करने के साथ तकनीक व हथियारों से खुद को मजबूत कर रही है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, साइबर सुरक्षा जैसी अत्याधुनिक तकनीक में ट्रेंड करने के लिए सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सेना की ओर से बताई जाने वाली चुनौतियों को छात्रों और स्टार्टअप्स से साझा किया जाएगा, जिससे वे तकनीकी समाधान निकाल सकें। इस समझौते का उद्देश्य स्वदेशी तकनीक व समाधान को विकसित करना है। लेफ्टिनेंट जनरल कटियार ने प्रो. अभिषेक सरकार, प्रो. बिशाख भट्टाचार्य, प्रो. शक्ति सिंह, प्रो. अभिषेक और प्रो. भरत लोहानी आदि से अत्याधुनिक तकनीक पर चर्चा भी की। इसका केंद्र रक्षा-केंद्रित अनुसंधान एवं नवाचार में सहयोग की संभावनाओं पर रहा।

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