नई दिल्ली (एडीएनए)
एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) का काम काफी चुनौतीपूर्ण होता है। यह सभी उड़ने वाले विमानों को नियंत्रित करता है। इसका काम काफी चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ रोचक भी है।
सभी तरह के हवाई जहाजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के हाथों में होती है। किसी विमान को कहां और किसी समय, किस रनवे पर उतरना है, यह एटीसी ही तय करता है। यह एक ग्राउंड आधारित सेवा है जो विमानों के पायलटों को रेडियो के जरिए निर्देशित करती है। एटीसी टीम की कुशल रणनीति के चलते ही सैकड़ों की संख्या में विमान आसमान में चलते हैं पर आपस में कभी नहीं भिड़ते। इसकी दूरी, सही समय पर टेकऑफ और लैंडिंग का समय भी यही टीम करती है। विमानों की वर्तमान स्थित, ऊंचाई और रफ्तार को भी एटीसी ट्रैक करता है। इसके अलावा मौसम की जानकारी, रनवे की स्थिति या किसी भी आपातकालीन निर्देश समय रहते पायलट तक पहुंचाना भी एटीसी की ही जिम्मेदारी है। हाईफ्रीक्वेसिंग रेडियो प्रणाली के जरिए विमानों के पायलटों से संपर्क होता है। एटीसी के सभी निर्देशाों का पालन करने के लिए पायलट बाध्य होता है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर एटीसी की सेवाएं संचालित करता है।
कैसे बने एयर ट्रैफिक कंट्रोलर
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एयर ट्रैफिक कंट्रोल के कर्मचारियों की भर्ती करता है। इन्हें एयर ट्रैफिक कंट्रोलर कहा जाता है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन होता है। भर्ती का नोटिफिकेशन साल में एक बार यह आवश्यकता के अनुसार होता है। कंप्यूटर आधारित परीक्षा दो चरणों में होती है। पार्ट एक में सामान्य ज्ञान, रीजनिंग, गणित और अंग्रेजी। वहीं पार्ट बी में फिजिक्स और मैथ स्नातक स्तर का होता है। इसके बाद वॉयस टेस्ट और इंग्लिश स्पोकेन टेस्ट भी होता है। आवेदनकर्ता को बीएससी (फिजिक्स और मैथ) या बीई/बीटेक होना अनिवार्य है। पासिंग मार्ग 60 प्रतिशत या इससे ऊपर होना चाहिए। इस परीक्षा को पास करने के लिए आपकी अंग्रेजी बहुत अच्छी होनी चाहिए। चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद स्थित प्रशिक्षण कैंप में भेजा जाता है। छह-आठ महीनों के प्रशिक्षण के बाद एटीसी भेजा जाता है।