नई दिल्ली (एडीएनए)।
अंतरिक्ष की दुनिया हमारी आभासी दुनिया से एकदम अलग है। वहां की अनगिनत चीजें हमें रोमांचित करती हैं। अंतरिक्ष एक विशाल और रहस्यमयी जगह है जो पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर है। यह वह जगह है जहां तारे, ग्रह, गैलेक्सी, ब्लैक होम जैसी तमाम खगोलीय चीजें मौजूद हैं। यहां गुरुत्वाकर्षण, ध्वनि या आक्सीजन नहीं होता है। तापमान बहुत अधिक या बहुत कम हो सकता है। स्पेस स्टेशन पर एक दिन में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त होता है।
हाल ही में अंतरिक्ष यात्रा पर गए भारतीय यात्री शुभांशु शुक्ला ने वहां के कुछ अनुभव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के दौरान साझा की। शुभांशु से बातचीत के दौरान मोदी ने कहा कि भारत की सदियों पुरानी परंपरा है परिक्रमा करना। आप अभी पृथ्वी के किस भाग से गुजर रहे हैं। इसपर शुभांशु बोले- मौजूदा समय की जानकारी तो नहीं है लेकिन कुछ वक्त पहले हमारा यान अमेरिकी हवाई क्षेत्र से गुजर रहा था। शुभांशु ने बताया कि हम अपने स्पेस स्टेशन से 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं जो अचंभित करता है। हमारा यान 28 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रहा।
बहुत भव्य दिखता है अपना भारत
शुभांशु ने बताया कि मैं जब पहली बार अंतरिक्ष में पहुंचा और पृथ्वी को मैंने देखा तो विचार आया कि पृथ्वी एक होती है। इसकी कोई सीमा नहीं होती। पहली बार जब भारत को देखा तो भारत वाकई में बहुत भव्य दिखता है। मानचित्र से कहीं अधिक बड़ा दिखता है। शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में पानी पीना, भोजन करना बहुत कठिन होता है। आप दीवार पर सो सकते हैं, मेज पर सो सकते हैं पर यहां सोना बड़ी चुनौती है। गुरुत्वाकर्षण के कारण यह हर चीज तैरती रहती है। हम स्पेस स्टेशन के अंदर तकनीक के सहारे अपनी दिनचर्या को पूरी करते हैं।
अपने पैरों को बांधे हुए हूं..वरना उड़ जाऊं
प्रधानमंत्री से बातचीत के दौरान शुभांशु शुक्ला ने बताया कि आपसे बातचीत के दौरान मैंने अपने पैरों को कसकर बांधकर रखा हैं, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा। शुभांशु ने बताया कि मुझे स्टेशन की प्रणाली और शोध के बारे में पता था लेकिन यहां पहुंचने के बाद सारी चीजें बदल गईं। शरीर को गुरुत्वाकर्षण की आदत हो जाती है। ऐसे में स्टेशन में खुद को संभाले रखना एक चुनौती है। मैंने एक साल तक पूरी प्रक्रिया का प्रशिक्षण लिया है।
स्पेस स्टेशन पर हैं सभी सुविधाएं
स्पेस स्टेशन पर वहां मौजूद यात्रियों के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। जैसे- वह किताबें पढ़ सकते हैं, संगीत सुन सकते हैं, धरती पर बात कर सकते हैं आदि। यही नहीं, रोजाना छह-आठ घंटे काम, दो घंटे की एक्सरसाइज और खाने-पीने व आराम करने की भी व्यवस्था की गई है। स्पेस स्टेशन पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी जरूरी संसाधन मुहैया है। आग लगने, डिप्रेशन, ऑक्सीजन की कमी जैसी किसी भी आपातस्थिति से निटपने के लिए खास व्यवस्थाएं होती हैं। इमरजेंसी कैप्सूल रहता ताकि किसी भी आपात स्थिति में यात्री पृथ्वी की ओर कूच कर सकते हैं। कुल मिलाकर स्पेस स्टेशन एक चलती-फिरती प्रयोगशाला है जो अंतरिक्ष में रहकर स्वास्थ्य, विज्ञान और भविष्य की खोजों के लिए काम करता है।