नई दिल्ली (एडीएनए)
वायुमंडल को निजी जेट अपने प्रदूषण से दूषित कर रहे हैं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) की 2025 की रिपोर्ट को मानें तो भारत प्राइवेट जेट से प्रदूषण फैलाने वाले देशों की सूची में 14वें स्थान पर है। इस रिपोर्ट में 20 देशों को शामिल किया गया है। पहले पायदान पर अमेरिका है।
रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर के धन्नासेठों के निजी जेट विमानों ने साल 2023 में करीब 1.95 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस वायुमंडली में छोड़ी। ये मात्रा यूरोप के सबसे व्यस्त हवाईअड्डे हीथ्रो एयरपोर्ट से होने वाली कुल उड़ानों से भी ज्यादा है। वहीं, भारत में भी निजी जेट्स से उड़ने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में निजी जेट का इस्तेमाल अब सिर्फ बिजनेस मीटिंग तक सीमित नहीं है। फिल्म स्टार, उद्योगपति, राजनेता और अमीर वर्ग शादियों, छुट्टियों और निजी दौरों में धड़ल्ले से प्राइवेट जेट का प्रयोग कर रहे हैं। निजी जेट से प्रदूषण में भारत की वैश्विक हिस्सेदारी भले ही 0.87% है, लेकिन यह ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान और तुर्की से ज्यादा है। भारत में निजी जेट से उत्सर्जन चीन और सऊदी अरब के स्तर के करीब पहुंच चुका है।
आधे से ज्यादा निजी उड़ाने सिर्फ अमेरिकी
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हुई कुल निजी जेट उड़ानों में से 64.6% उड़ानें सिर्फ अमेरिका से हुईं। फ्लोरिडा और टेक्सस शहरों से इतनी उड़ानें भरी गईं, जो पूरी यूरोपीय यूनियन से भी कम थीं। एक निजी विमान हर साल औसतन 810 टन प्रदूषण छोड़ता है वातावरण में वहीं, इनता उत्सर्जन 199 कारें या नौ ट्रक एक साल में छोड़ते हैं। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कोरोना के दौरान जब व्यावसायिक विमान सेवाएं ठप थीं, तब निजी जेट्स का चलन तेजी से बढ़ा। साल 2022 में निजी जेट ने सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाया।
मानव जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए गंभीर खतरा
निजी जेट न सिर्फ कार्बन गैस छोड़ते हैं बल्कि नाइट्रोजन ऑक्साइड और पीएम2.5 जैसी जहरीली गैसें भी छोड़ते हैं, जो सांस की बीमारियों और समय से पहले मौत का कारण बनती हैं। 2015 में विमान से जुड़े नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण करीब 53 हजार लोगों की समय से पहले मौत हुई थी। यह गैस मानव जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी गंभीर खतरा साबित हो रही है।