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अब विदेश नहीं, भारत में हो रही ब्लैक बॉक्स की डिकोडिंग

नई दिल्ली (एडीएनए)
भारत अब किसी भी दक्षता में किसी भी देश से पीछे नहीं रहा है। अभी तक विमानों में लगे ब्लैक बॉक्स की डिकोडिंग के लिए उसे अमेरिका, रूस या ब्रिटेन भेजा जाता था लेकिन इस बार भारत खुद ब्लैक बाक्स की गहन पड़ताल करेगा। दरअसल, दिल्ली स्थित विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) लैब अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया के विमान एआई-171 के ब्लैक बॉक्स के आंकड़ों की जांच कर रही है। यह पहली बार है जब ब्लैक बॉक्स डिकोडिंग भारत में हो रही है। 
बीते दिनों अहमदाबाद में हुए विमान हादसे से पहले क्षतिग्रस्त विमानों और कुछ मामलों में हेलीकॉप्टरों के ब्लैक बॉक्स को ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, कनाडा, इटली, कनाडा और रूस जैसे देशों में डिकोडिंग के लिए भेजा जाता था। भारतीय प्रयोगशालाओं में ब्लैक बॉक्स डेटा प्राप्त करने के लिए उपकरण और सुविधाओं का अभाव था। हालांकि इस बार दिल्ली स्थित एएआईबी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) दोनों डिकोड करने के लिए सक्षम हैं। इसीलिए अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के ब्लैक बॉक्स का यहीं परीक्षण हो रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बताया कि फ्रंट ब्लैक बॉक्स से क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (सीपीएम) को सुरक्षित रूप से निकाल लिया गया है। 25 जून को मेमोरी मॉड्यूल तक सफलतापूर्वक पहुंच बनाई गई और इसका डेटा एएआईबी लैब में डाउनलोड किया गया। इसकी जांच-पड़ताल की जा रही है। एक ब्लैक बॉक्स को 13 जून को दुर्घटना स्थल पर एक इमारत की छत से और दूसरे को 16 जून को मलबे से बरामद किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एएआईबी के महानिदेशक अहमदाबाद हादसे के ब्लैक बाक्सों के परीक्षण का नेतृत्व कर रहे हैं। भारतीय वायु सेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के तकनीकी सदस्य इसमें असहयोग कर रहे हैं। अमेरिका का राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड भी जांच में शामिल हैं, जो विमान के निर्माणकर्ता देश की आधिकारिक जांच एजेंसी है। इस तकनीकी प्रक्रिया में सहायता के लिए बोइंग और जीई के अधिकारी भी डेरा डाले हुए हैं।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स 
हर विमान में ब्लैक बॉक्स होता है। यह एक तरह की डिवाइस होती है जो फ्लाइट से जुड़ी हर गतिविधि को रिकॉर्ड करती है। पायलटों समेत क्रू मेंबरों की हर हरकत पर इसकी निगाह रहती है। विमान की ऊंचाई, दिशा, रफ्तार और विमान में होने वाली हर बातचीत रिकॉर्ड होती है। इसका नाम तो ब्लैक बॉक्स है लेकिन इसका चमकीला रंग नारंगी होता है। ब्लैक बॉक्स का रंग नारंगी होने के पीछे तर्क यह है कि यह आसानी से दिख सके।

आइए जानते हैं इसकी खूबियां
हाल ही में अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स चर्चा में आ गया। दरअसल जब कोई हवाई जहाज हादसे का शिकार होता है तो ब्लैक बॉक्स में अहम भूमिका रहती है। इसी के जरिए जांच एजेंसियां हकीकत से बावस्ता होती है। ब्लैक बॉक्स मुख्य रूप से दो भागों में होता है। पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के रूप में जाना जाता है। इसमें विमान की ऊंचाई, उसकी रफ्तार, इंजन की शक्ति और किसी भी तकनीकी समस्या को रिकॉर्ड करता है। दूसरे भाग को कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर के नाम से जाना जाता है। यह कॉकपिट के अंदर की सभी तरह की हरकतों पर अपनी निगाह रखता है। जैसे पायलटों के बीच बातचीत, रेडियो पर संवाद, किसी भी चेतावनी या अलार्म आदि को रिकॉर्ड करता है। 

ब्लैक बॉक्स पर पूरा भरोसा 
किसी भी विमान हादसे में अगर कोई व्यक्ति जीवित नहीं बचता है तो ब्लैक बॉक्स ही घटना का सबसे भरोसेमंद साथी होता है। इसकी मदद से हम घटना की वजहों और त्रुटियों को जान सकते हैं। इसकी तहकीकात से ही सच्चाई को दुनिया के सामने आती है। इसमें दर्ज जानकारी ही सही मानी जाती है।

कई मौकों पर ब्लैक बॉक्स की भूमिका अहम 
जैसे किसी भी आपराधिक मामलों में डीएनए अहम भूमिका निभाते हैं वैसे ही विमान हादसों का डेटा जानने में ब्लैक बॉक्स ही निर्णायक होते हैं। साल 2015 में जर्मनी और मलेशिया एयरलाइंसों में हुए विमान हादसों में ब्लैक बॉक्सों ने अहम भूमिका निभाई। भारत में 2020 की कोझिकोड विमान दुर्घटना की जांच में भी पायलट के निर्णय और रन-वे की स्थिति की जांच ब्लैक बॉक्स के जरिये ही हुई।

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