नई दिल्ली (एडीएनए)
लखनऊ के रहने वाले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सओम-4 मिशन के तहत स्पेस स्टेशन यानी तैरती हुई विशालकाय लैब पर पहुंच चुके हैं। उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, स्लावोश और टिबोर कपु भी उनके साथ स्पेस स्टेशन पहुंचे हैं। स्थायी टीम के रूप में सात अंतरिक्ष यात्री पहले से स्पेस सेंटर में मौजूद हैं, स्पेस सेंटर में मौजूद कुल 11 एस्ट्रोनॉट्स कौन हैं और वे क्या काम करते हैं आइए जानते हैं...
भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखकर इतिहास रच दिया. वह न केवल भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय भी हैं। उनके साथ स्पेस स्टेशन पर तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री पहुंचे, इसके अलावा और वहां पहले से एक स्थायी टीम मौजूद है। स्पेस स्टेशन या इसे बड़ा अंतरिक्षयान कह सकते हैं जो 16 हिस्सों को जोड़कर बनाया गया है। 1998 में इसे बनाने का काम शुरू हुआ था और इससे बनाने के लिए अंतरिक्ष की कुल 42 उड़ानें हुईं। 21 देशों के 60 से ज्यादा लोग स्पेस सेंटर पर अभी तक जा चुके हैं।
आईएसएस पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री
शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं, यह नासा, इसरो, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) और निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस का संयुक्त मिशन है। शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जीवन, पृथ्वी की जलवायु और अंतरिक्ष की नई तकनीक पर शोध करेंगे। आइए समझते हैं बाकी का प्रोफाइल और उनकी भूमिकाओं को। स्पेस स्टेशन पर ली गई एक सेल्फी में शुभांशु के साथ नजर आ रहे हंगरी के एस्ट्रोनॉट टिबोर कपु को HUNOR कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में भेजा गया है। वह स्पेशलिस्ट की भूमिका में वहां मौजूद हैं, जिनका काम साइंटिफिक रिसर्च और टेक्निकल चीजों में टीम की मदद करना है। सभी चार यात्रियों को एक्सिओम-4 मिशन के तहत 14 दिन के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा गया है। अंतरिक्ष पर परिक्रमा लगा रहे स्पेस सेंटर पर 11 सदस्यों की संख्या काफी अधिक मानी जा रही है, क्योंकि आमतौर पर किसी भी स्पेस सेंटर पर आमतौर पर छह अंतरिक्ष यात्री ही रहते हैं। 11 अंतरिक्ष यात्रियों में आठ स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल पर आए-क्रू-2 और क्रू-1 मिशन पर 4-4 अंतरिक्ष यात्री हैं जो पिछले नवंबर में लॉन्च हुआ था। क्रू-1 की यह चौकड़ी 28 अप्रैल को पृथ्वी पर लौट आएगी।