नई दिल्ली (एडीएनए)।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी का असर एयरलाइन उद्योग पर भी पड़ा है। मध्य-पूर्व एशिया की ओर जाने वाली कई उड़ानों को रद करना पड़ा। इसके बाद जो उड़ानें हुईं भी उनका मार्ग इतना लंबा रहा कि खर्च अधिक आया। यात्रियों की जेब पर भी इसका असर देखने को मिला। बीते दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हमलों के चलते उत्तर और पश्चिम भारत के 32 एयरपोर्ट बंद कर दिए गए। हालत यह बन गई थी कि पहले ही दिन 50 से ज्यादा उड़ानों को रद करना पड़ा। डीजीसीए के अनुसार, मई के महीने में एयर इंडिया को सबसे ज्यादा झटका लगा। अनुमान के मुताबिक 3.4% फ्लाइट निरस्त हुईं, जबकि अप्रैल में ये सिर्फ 0.27% थी। इंडिगो का 2.03% और स्पाइसजेट का 2.62% कैंसिलेशन रेट रहा। आकासा एयर पर सबसे कम असर हुआ। इसका असर यह रहा कि एयरपोर्ट बंद होने और फ्लाइट कैंसल होने की वजह से मई में भारतीयों ने कम यात्रा की। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर भारत में सबसे ज्यादा गिरावट आई। मई में उत्तर भारत के एयरपोर्ट फुटफॉल यानि यात्रियों की कुल संख्या में 8.7 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पश्चिम भारत में थोड़ी सी बढ़ोतरी 1.5 फीसदी दर्ज की गई।
अजरबैजान और तुर्किये के बहिष्कार का भी पड़ा असर
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष में अजरबैजान और तुर्किये ने पाकिस्तान का साथ दिया। इस समर्थन के बाद लोगों ने उक्त दोनों की यात्राएं रद्द कर दीं। मई महीने के आंकड़े बताते हैं कि अजरबैजान जाने वाले भारतीयों की संख्या पिछले साल मई में 29,690 थी, जो इस साल मई में घटकर 23,300 रह गई। तुर्किये में भी भारतीय पर्यटकों की संख्या मई 2024 में 41,544 थी, जो मई 2025 में घटकर 31,659 रह गई। अजरबैजान के लिए 2018 के बाद यह पहली बार है जब भारतीय पर्यटकों की संख्या में इतनी बड़ी गिरावट आई (कोविड को छोड़कर)। तुर्किये में यह गिरावट लगातार तीसरे महीने रही, पर इस बार गिरावट पहले से ज्यादा थी। इस गिरावट के बावजूद मई में भारत अजरबैजान का तीसरा सबसे बड़ा पर्यटक देश बना रहा। इसलिए अजरबैजान को भारतीय पर्यटकों के बहिष्कार से ज्यादा नुकसान हुआ होगा।