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ड्रोन लड़ेंगे भविष्य के युद्ध..भारत बहुत मजबूत

दिल्ली (एडीएनए)।

आने वाले दिनों में ड्रोन की युद्धों में अहम भूमिका होगी। आधुनिक तकनीक के बलबूते इनकी क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है, अब यह सैन्य व्यवस्था का अहम हिस्सा माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या भारत-पाकिस्तान के बीच हाल की लड़ाई। पाकिस्तान ने तो कुछ घंटों में सैकड़ों ड्रोन भारत पर हमले के लिए भेज दिए। इससे तय है कि फाइटर जेट और मिसाइल के साथ ड्रोन युद्ध में अहम भूमिका निभामे वाले हैं, इसी को देखते हुए सभी देश ड्रोन तकनीकी पर तेजी से काम कर रहे हैं। ड्रोन के मामले में भारत की स्थिति दुनिया में बहुत मजबूत है। आइए जानते हैं ड्रोन तकनीकी के मामले में कौन सा देश कहां खड़ा है।

अमेरिका-प्रमुख ड्रोन

MQ-9 रीपर (हमला और निगरानी ड्रोन)

RQ-4 ग्लोबल हॉक (उच्च-स्तरीय निगरानी ड्रोन)

सीगार्डियन (समुद्री निगरानी के लिए)

पिछले दिनों में अमेरिका ने ड्रोन हमलों का व्यापक उपयोग किया है, खासकर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य पूर्व में

 

इजरायल-प्रमुख ड्रोन

हरोप (आत्मघाती ड्रोन)

हर्मेस 900 (लंबी दूरी की निगरानी)

एरोन 5 (बहुउद्देशीय ड्रोन)

इजरायल ने अपने ड्रोन तकनीक का उपयोग फिलिस्तीन, सीरिया और लेबनान में किया है। 

 

चीन-प्रमुख ड्रोन

सीएच-फोर और सीएच-फाइव (हमला और निगरानी ड्रोन)

जीजे-11 (शैडो ड्रोन) 

चीन ने अपने ड्रोन्स का निर्यात पाकिस्तान, सऊदी अरब और अफ्रीकी देशों को किया है। 

 

तुर्की-प्रमुख ड्रोन

बायरक्टर टीबी टॅ (अज़रबैजान-आर्मेनिया युद्ध में प्रभावी)

अकिंजी और अक्सुंगुर (उन्नत हमला ड्रोन)

तुर्की के ड्रोन्स का उपयोग पाकिस्तान, सीरिया, लीबिया और यूक्रेन में हुआ है।

 

रूस-प्रमुख ड्रोन 

ओरियन (हमला और निगरानी ड्रोन)

लांचेट (आत्मघाती ड्रोन)

रूस ने यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का अधिक उपयोग किया है।

 

ईरान-प्रमुख ड्रोन

शाहेद-136 (आत्मघाती ड्रोन)

मोहाजेर-6 (निगरानी और हमला ड्रोन)

ईरानी ड्रोन का उपयोग यमन, सीरिया और यूक्रेन में हुआ है

 

भारत -प्रमुख ड्रोन

TAPAS-BH (रूस्टम-2) (मध्यम ऊंचाई वाला निगरानी ड्रोन)

स्विच ब्लेड (आत्मघाती ड्रोन, अमेरिका से खरीदे गए)

ध्रुव  (नौसेना के लिए)

भारत इजरायल और अमेरिका से ड्रोन तकनीक खरीद रहा है और स्वदेशी विकास पर भी जोर दिया जा रहा है, हाल में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है।

 

ड्रोन तकनीकी के मामले में कहां खड़े हैं भारत और पाकिस्तान

दक्षिण एशिया की सुरखा के मद्देनजर भारत और पाकिस्तान के बीच ड्रोन तकनीक एक अहम मुद्दा बन गया है। हालिया रिपोर्टों पर भरोसा करें तो दोनों देशों ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। हाल के सालों में अपनी ड्रोन क्षमताओं को बढ़ाया है, लेकिन भारत तकनीकी और सैन्य दृष्टि से पाकिस्तान से आगे है। आइए जानते हैं दोनों देशों की ड्रोन क्षमताएं 

 

भारत के स्वदेशी ड्रोन

1. TAPAS-BH (रूस्टम-2)

- मध्यम ऊंचाई वाला दीर्घ-अवधि निगरानी ड्रोन 

- 18-28 घंटे तक उड़ान भरने की क्षमता।

- सीमा पार जासूसी और लक्ष्य पहचान के लिए उपयोगी

2. निशांतर (आत्मघाती ड्रोन)

- भारतीय सेना द्वारा परीक्षण किया गया।

- शत्रु के रडार और संचार केंद्रों को नष्ट करने में सक्षम।

3. ध्रुव 

- नौसेना के लिए विकसित, समुद्री निगरानी में सक्षम।

 

आयातित ड्रोन

1. एमक्यू-9B सीगार्डियन (अमेरिका)

- 2023 में भारत ने 31 एमक्यू-9B ड्रोन खरीदने की घोषणा की।

- ये ड्रोन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखेंगे।

2. हरोप (इजरायल)

- आत्मघाती ड्रोन। जो रडार सिस्टम को नष्ट कर सकता है।

- 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत ने इन्हें तैनात किया।

 

पाकिस्तान के स्वदेशी ड्रोन 

1. शाहपर-1 और शाहपर-2

- निगरानी और हमला करने वाले ड्रोन

- सीमित रेंज और क्षमता

2. बुराक

- आत्मघाती ड्रोन, चीन के ड्रोन से प्रेरित।

 

आयातित ड्रोन:

विंग लूंग- II (चीन)

MQ-9 रीपर जैसा हमला ड्रोन।

पाकिस्तान ने इन्हें चीन से खरीदा है।

 

2. बायरक्टर TB2 (तुर्की)

- अज़रबैजान-आर्मेनिया युद्ध में प्रभावी रहा।

- पाकिस्तान ने हाल ही में इन्हें खरीदा है।

 

भारत और पाकिस्तान का मुकाबला

ड्रोन तकनीक में पाकिस्तान से भारत काफी आगे है। पाकिस्तान चीन और तुर्की पर निर्भर है, उसके पास सीमित हमला क्षमता वाले ड्रोन हैं। भविष्य में सीमा पार ड्रोन हमले और एंटी-ड्रोन सिस्टम की भूमिका बढ़ने की आशंका है।

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