नई दिल्ली (एडीएनए)।
खेती-किसानी में समृद्ध भारत की फसलों का डंका अंतरिक्ष में भी बजा है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारतीय यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक शोध के दौरान अंकुरित हो रहे मूंग और मेथी के बीजों की तस्वीरें लीं और उन्हें फ्रीजर में रखा।
खेती-किसानी से जुड़ा शुभांशु शुक्ला का यह अध्ययन इस बात पर आधारित है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के शुरुआती विकास को कैसे प्रभावित करता है। मूंग और मेथी के इस शोध को उन्होंने काफी रोमांचक बताया। वहीं, एक्सिओम स्पेस के एक बयान में कहा गया है कि पृथ्वी पर लौटने के बाद इन बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके आनुवांशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण संबंधी प्रोफाइल में बदलावों की जांच की जा सके। खेती-किसानी से जुड़े अध्ययन ही नहीं बल्कि कई प्रकार से शोध भी अंतरिक्ष यात्री कर रहे हैं। इनमें से ही एक है शैवाल। शुभांशु शुक्ला ने सूक्ष्म शैवालों को उगाया और उन्हें संग्रहित भी किया। इन शैवालों से भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन उत्पादन क्षमता की जांच की जा रही है। इनकी खूबियां अंतरिक्ष मिशन की लंबी अवधि के लिए मानव जीवन के लिए इन्हें आदर्श बनाती हैं।
शुभांशु ने बुधवार को एक्सिओम स्पेस की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो के साथ बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें गर्व है कि भारत के राष्ट्रीय संस्थानों के साथ कुछ बेहतरीन शोध किए।
शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों ने अंतरिक्ष में 12 दिनों की अवधि पूरी कर ली है। जानकारों की मानें तो वह किसी भी दिन धरती पर लौट सकते हैं। हालांकि नासा की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इस अभियान की अविध 14 दिनों तक ही निर्धारित थी।