नई दिल्ली (एडीएनए)।
राजस्थान में जगुआर के क्रैश होने के बाद एक बार फिर से वायुसेना के विमानों की हालत पर चर्चा-ए-आम हो गई है। इस बमवर्षक विमानों को अपने बेड़े से साल 2028 तक हटाने का लक्ष्य है लेकिन इसमें मुश्किल हो सकती है, क्योंकि तेजस की आपूर्ति में विलंब और वायुसेना के बेड़े में पहले से ही करीब 200 विमानों की कमी है। फिर भी जब मौका आता है हमारे जॉबाज हर स्थिति में लड़ने को तैयार रहते हैं और विजय पाते हैं।
किसी भी आपातस्थिति से निपटने के लिए फिलहाल जगुआर से सफल बमबवर्षक विमान ही साबित होगा। इसलिए वायुसेना अभी इन्हें अपने बेड़े में शामिल रख सकती है। सूत्रों ने अनुसार भारतीय वायुसेना में अभी 112 जगुआर हैं। इनमें 60 विमान सबसे पुराने है जों 1980 के दरम्यान भारत को मिले थे। हालांकि समय-समय पर यह अपग्रेड भी होते रहते हैं। कारगिल युद्ध हो या ऑपरेशन सिंदूर फाइटर जैट जगुआर अग्रिम मोर्चे पर डटा रहा। एक आंकड़ा यह भी बताता है 25 साल पुराने फाइटर प्लेन जो ब्रिटेन और फ्रांस में बने हैं उन्हें 2007 में ही वहां की वायुसेना से हटा लिया गया है। हालांकि भारतीय वायुसेना अभी भी उन विमानों का संचालन कर रही है। एयरफोर्स के सूत्रों की मानें तो साल 2028 तक 60 विमानों को हटाने की तैयारी है लेकिन यह तभी संभव हो सकेगा जब एचएएल वायुसेना को 83 तेजस एमके1ए विमानों की आपूर्ति कर दे। अभी वायुसेना के पास 42 स्क्वाड्रन लड़ाकू विमान होने चाहिए लेकिन 31 स्क्वाड्रन की ही बची हैं। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं। इस प्रकार 198 विमानों की कमी है।