नई दिल्ली (एडीएनए)।
एक हजार मीटर समुद्र के अंदर फंसी पनडुब्बी को बचाने में सक्षम आईएनएस निस्तार भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाएगा। बीते दिनेां विशाखापत्तनम में नौसेना को पहला स्वदेशी आईएनएस निस्तार पोत मिला। इस पोत की खासियत के चलते इसे अत्याधुनिक गोताखोरी सहायता पोत नाम दिया गया है। भारतीय नौसेना को इंडो-पैसिफिक में पनडुब्बी संचालन में भी इससे काफी मदद मिलेगी। इस जहाज में अत्याधुनिक गोताखोरी उपकरण लगे हैं, जो किसी भी कठिन से कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन में मददगार होगा। इस जहाज पर 200 से ज्यादा नौसैनिक तैनात रह सकते हैं। इसकी खासियत यह है कि यह बिना बंदरगाह लौटे 60 दिन तक समुद्र में ऑपरेशन कर सकता है। अभी तक नौसेना को पनडुब्बी हादसों या बचाव मिशन के लिए ओएनजीसी या निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था।
आईएनएस निस्तार के आने से भारती पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा। यही नहीं, यह जहाज पनडुब्बी बचाव, गहरे समुद्र में गोताखोरी अभियान, गैर लड़ाकू निकासी अभियान जैसी कई चुनौतियों को पूरा करने में पूरी तरह से दक्ष है। 118 मीटर लंबे आकार के इस जहाज का वजन करीब 18 टन है। अभी भारत के पास 17 डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और दो न्यूक्लियर क्षमता वाली बैलेस्टिक सबमरीन हैं। आईएनएस निस्तार के आने से भारत की नौसेना समुद्र में अपनी मौजूदगी दमदारी से करेगी।