नई दिल्ली (एडीएनए)।
बीते दिनों चुरू में जगुआर के हादसाग्रस्त होने के बाद इस पर सवालिया निशान उठने शुरू हो गए हैं। इस साल जगुआर क्रैश होने की यह तीसरी घटना है। लोगों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि 45 साल पुराने यह विमान मिग-21 की राह पर जा रहे हैं। हालांकि वायुसेना सभी दावों को खंडन करते हुए साफ कर चुकी है कि जगुआर को कोई खतरा नहीं है। हादसे की वजह विमान में खराबी नहीं कुछ और हो सकती है। यह जांच का विषय है।
नौ जुलाई को राजस्थान के चुरू में बमवर्षक विमान जगुआर के क्रैश होने की सालभर में तीसरी घटना है। इससे पहले दो अप्रैल को जामनगर और सात मार्च को पंचकूला में जगुआर क्रैश हो चुके हैं। पिछले एक दशकों का रिकॉर्ड देखें तो 50 जगुआर छोटे-बड़े हादसों का शिकार हो चुके हैं।
..क्यों उड़ा रहे 40 साल पुराने विमान
वायुसेना के एक पूर्व तत्कालीन प्रमुख ने कहा था कि लोग 14 साल पुरानी कार नहीं चला सकते और हमारी वायुसेना 40 साल पुराने विमानों को उड़ा रही है। इस पर एक संसदीय समिति ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारतीय सेनाओं में ज्यादातर हथियार युद्ध के लायक नहीं हैं। समिति ने तो यहां तक कह डाला कि यह हथियार संग्रहालय में रखने के लायक हैं। जानकारों ने बताया कि वायुसेना ने 1966 से 1984 के बीच 840 मिग-21 विमानों का अधिग्रहण किया था जिनमें से करीब 50 फीसदी अलग-अलग स्थितियों में हादसे का शिकार हो गए। इसमें 170 पायलट और करीब 40 नागरिक असमय काल के गाल में समा गए। अब इनकी विदाई की समय हो गया है।