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बड़ी दिलचस्प है हैंगर यानी जहाजों के ‘रेस्टरूम’ की कहानी

नई दिल्ली (एडीएनए)।  

हवाईअड्डों पर बने हैंगरों को जहाजों का ‘रेस्टरूम’ भी कहते हैं। रेस्टरूम से आशय यह है कि जहाजों को आराम करने वाला स्थान। किसी तकनीकी खराबी को दूर करना हो या मरम्मतीकरण का काम करना हो, विमानों को हैंगर में लगा जाता है। बड़ी दिलचस्प है हैंगरों की कहानी आइए जानते हैं...
हैंगर बनाने की शुरुआत 20वीं सदी से हुई। यह एक फ्रेंस भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है शेड या बाड़ा। शुरुआत में इसका इस्तेमाल साधारण तरीके से किया गया लेकिन समय के साथ हुए बदलाव में इसे अत्याधुनिक बनाते हुए विमानों के खड़ा करने या मरम्मतीकरण के प्रयोग में होने लगा। पहले लकड़ी से हैंगरों को बनाया गया है। अब स्टील और कंक्रीट की मजबूत छत से कवर करते हैं। इसका श्रेय राइट ब्रदर्स को जाता है जिन्होंने इसका संरचना बनाई। जैसे-जैसे विमानन तकनीक तेजी से विकसित हुई, वैसे-वैसे हैंगर के लिए इस्तेमाल की जाने वाली डिज़ाइन और निर्माण सामग्री में भी आधुनिकता आ गई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सैन्य विमानों के बढ़ने के साथ-साथ अधिक टिकाऊ और बड़ी संरचनाओं की आवश्यकता थी उस समय स्टील और कंक्रीट ने लकड़ी की जगह लेना शुरू कर दिया। युद्ध के दौरान ही नहीं व्यापार के नजरिए से भी हैंगरों की जरुरत बढ़ी तो हवाई अड्डों पर इनका निर्माण और तेजी से होने लगा। किसी छोटे बाड़े से विशालकाय बाड़े के रूप में परिवर्तित होने लगा। 

हवाईअड्डों पर किराये के हैंगर
आजकल तो हवाईअड्डों पर किराये के हैंगर भी उपलब्ध हैं। यहां निजी विमानों को एक तय राशि लेकर खड़ा कराया जाता है। प्रतिदिन या महीने के हिसाब से किराया वसूला जाता है। हैंगरों की संपूर्ण जिम्मेदारी विमान प्राधिकरण की होती है। किसी भी खराबी के लिए वह जवाबदेह होते हैं। इसके अलावा यदि कोई बेशकीमती विमान खड़ा करना हो तो एयरक्राफ्ट हैंगर भी अलग से बनाया जाता है। इसकी कीमत निजी विमानों के हैंगरों से अधिक होती है। जानकार बताते हैं कि जगह यानि की वर्ग फुट के हिसाब से किराये की राशि तय होती है। 

अलग-अलग विमानों के लिए अलग-अलग हैंगर 
अलग-अलग विमानों से आशय उनकी बनावट को लेकर है। विमानन कंपनियों जहाजों की डिजाइन के अनुरूप हैंगर बनवाती हैं। जैसे - एयरबस A320 में लगभग 118 फीट का पंखे का फैलाव, 38 फीट की पूंछ की ऊंचाई और लगभग 124 फीट की कुल लंबाई होती है। उन आयामों के साथ, A320 को लगभग 175 फीट गुणा 175 फीट के न्यूनतम हैंगर स्थान की आवश्यकता होती है। वहीं, दूसरी ओर एक जेट को केवल 50 फीट गुणा 60 फीट के हैंगर आकार की आवश्यकता हो सकती है। एक छोटे पाइपर क्यूब (J-3) को केवल 30 फीट गुणा 40 फीट के हैंगर स्थान की आवश्यकता होगी।

हैंगर विमान को खराब मौसम की स्थिति से बचाते हैं
हैंगर विमानों की सुरक्षा, पर्यारण से नुकसान और किसी भी जोखिम से बचाने के लिए एक अहम स्थान होते हैं। हैंगर विमान को बारिश, बर्फ, ओले और अत्यधिक तापमान जैसी खराब मौसम की स्थिति से बचाते हैं।  विमान के बाहरी हिस्से और संवेदनशील एवियोनिक्स सिस्टम को भी महफूज रखते हैं।

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