नई दिल्ली (एडीएनए)।
जमीन के बदले अंतरिक्ष यात्रियों के यान को पानी में लैंडिंग कराना अधिक सुरक्षित माना जाता है। इसके पीछे अलग-अलग तर्क हैं। विशेषज्ञों की मानें तो पानी में लैंडिंग होने से यह सुनिश्चित होता है कि अंतरिक्ष यान के ट्रंक का मलबा पानी में ही गिरे। अगर यह जमीन पर उतरे तो संभव है कि यान से गिरने वाले मलबे से आम जनमानस को नुकसान हो सकता है।
विशेषज्ञ तो यहां तक कहते हैं कि जमीन पर लैंडिंग सटीक और सुरक्षित होती है लेकिन ट्रंक से गिरने वाले मलबे का प्रबंधन चुनौती है। किसी भी अभियान के बाद जमीन या समुद्र में उतरने का चुनाव आमतौर पर मिशन से यात्रा से काफी पहले ही अंतरिक्ष यान के डिजाइन, क्षमताओं और उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर किया जाता है। यान के उतरने के संदर्भ में यह भी बताया जाता है कि पानी पर लैंडिंग होने से लोगों या संपत्ति को होने वाले जोखिम कम हो जाते हैं। पानी में लैंडिंग अधिक सुरक्षित होती है क्योंकि मलबा आवासीय या व्यावसायिक क्षेत्रों में गिरने की आशंका होती है, जिससे नुकसान और वित्तीय हानि हो सकती है। यह खतरा अप्रैल में तब सामने आया जब स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल के ट्रंक के टुकड़े ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे दूर-दराज के इलाकों में पाए गए। दीगर है कि भारतीय शुभांशु शुक्ला सहित अन्य अंतरिक्ष यात्री 15 जुलाई को कैलिफोर्निया में समुद्र में उतरे। जबकि 41 साल पहले अप्रैल 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष स्टेशन के अपने मिशन के बाद सोयुज टी-10 कैप्सूल में सवार होकर कजाकिस्तान में जमीन पर उतरे थे।