नई दिल्ली (एएनए)।
आसान लाइसेंसिंग नियम से भारत में पायलटों की कमी को दूर किया जाएगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इससे संबंधित एक मसौदा प्रस्तावित किया है। जानकारों की मानें तो निजी जहाजों और हेलीकॉप्टरों के बढ़ते प्रचलन को देखते हुए आने वाले पांच सालों में 10 हजार नए पायलटों की जरूरत होगी। साल 2030 तक इनकी कमी को पूरा करने का लक्ष्य है।
मसौदे में लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाकर इन पदों को भरने की तैयारी है। इस संदर्भ में रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि छात्र पायलटों के लिए नियमों में ढील देना सभी हितधारकों के लिए लाभप्रद होगा और पायलटों की कमी दूर होने की संभावना है। आम जनता और उद्योग जगत के लिए इस प्रस्तावित मसौदे पर 14 अगस्त तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
अब कला और वाणिज्य वाले छात्र भी बनेंगे पायलट
कला और वाणिज्य डिग्रीधारकों के लिए अच्छी खबर है। अब इन्हें भी हवाईजहाज उड़ाने का मौका मिल सकता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारतीय विमान नियम-2025 का एक मसौदा प्रस्तावित किया है जिसमें ऐसे छात्रों को मौका मिले, ऐसा जिक्र किया है। अभी तक पायलटों के लिए हाईस्कूल में गणित और भौतिक विज्ञान जैसे विषयों के साथ विज्ञान का छात्र होना अनिवार्य था।
प्रस्तावित किए किए नए मसौदे में कहा गया कि कला और वाणिज्य की डिग्री वाले छात्र भी पायलट लाइसेंस का विकल्प चुन सकते हैं। इसी के साथ ही कक्षा 10 की योग्यता रखने वाला कोई भी व्यक्ति इसका लाइसेंस, हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर के लिए निजी पायलट लाइसेंस के लिए भी अपना आवेदन कर सकता है। नए नियमों में कक्षा 12वीं तक की स्कूली शिक्षा के साथ वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस और एयरलाइन परिवहन पायलट लाइसेंस को हासिल करने का आसान प्रस्ताव भी रखा गया है।
प्रस्वाति मसौदे से कला और वाणिज्य विषय के उन मेधावियों को लाभ मिलेगा जो कहीं न कहीं विज्ञान के छात्रों की तुलना में खुद को कमजोर समझते थे। इस मसौदे में इनको तरजीह मिलने से कहीं न कहीं इन्हें लाभ मिलेगा। जल्द ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद भर्तियों का कार्यक्रम घोषित होगा।