नई दिल्ली (एडीएनए)।
पांच सप्ताह से ज्यादा समय से तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे पर खड़ा ब्रिटेन का जंगी जहाज मंगलवार को उड़ गया। 14 जून को ब्रिटेन के एफ-35बी लड़ाकू विमान ने तिरुवनंतपुरम में इमरजेंसी लैंडिंग की थी। 5वीं पीढ़ी के इस जंगी जहाज में रूटीन उड़ान के दौरान कोई खराबी आ गई थी.. जिसके बाद वो पोत पर लैंड नहीं कर सका था। यूके रॉयल एयरफोर्स की 40 इंजीनियरों की टीम जंगी जहाज के मरम्मत के लिए पहुंची थी। मीडिया रिेपोर्ट्स की मानें तो फाइटर जेट की खराबी को दूर कर लिया गया है जिसके बाद उसने वापसी के लिए उड़ान भरी।
वास्तव में हुआ क्या
एफ-35बी वास्तव में अमेरिका में बना पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, इसको लेकर अमेरिका के बड़े दावे हैं। माना जाता है पांचवीं पीढ़ी के यह विमान अमेरिका, रूस और चीन ही बना रहा है और यह विमान ब्रिटेन ने अमेरिका से खरीदे हैं। दावा है कि यह विमान किसी भी मौसम में उड़ान भरने से लेकर युद्ध में हिस्सा लेने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन ब्रिटेन नेवी की तरफ से पहले जो बयान आया उसमें कहा गया कि मौसम में खराबी के कारण विमान को भारत में उतारना पड़ा। इस बयान को लेकर जब जग हंसाई होने लगी तो कहा गया कि विमान में फ्यूल खत्म हो रहा था इसलिए इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई, यह बात बी हजम होने वाली नहीं थी। पहले तो उड़ान भरने से पहले फ्यूल फुल किया जाता है और अगर इसकी जरूरत थी भी तो भारत में फ्लूल लेकर तुरंत विमान को उड़ा जाना चाहिए था इसके लिए 40 इंजीनियरों की टीम और 38 दिनों की क्या जरूरत थी। फिर थ्योरी आई की विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम में कोई खराबी आयी थी जिसके कारण विमान को भारत में उतारना पड़ा।
इतना सब होने के बाजूद बिर्टेन नेवी यह साफ नहीं कर पायी कि उसका लड़ाकू विमान आखिर भारत के एयरस्पेस में पहुंचा कैसे,,रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं दरअसल विमान के भारत के एयरस्पेस में पहुंचने पर भारत के तकीनी सिस्टम कुछ ऐसा किया कि विमान के कई सिस्टम फेल हो गए। कई देशों के पास इस तरह के तकनीकी सिस्टम हैं कि अपने एयरस्पेस में घुसने पर वह किसी विमान का कंट्रोल सिस्टम जाम कर सकता है।
विमान की मरम्मत के लिए आई थी 40 विशेषज्ञों की टीम
आपात स्थिति में तिरुवनंतपुरम में उतरे ब्रिटिश के शाही नौसेना के एफ-35बी लड़ाकू विमान की मरम्मत करने की खातिर 40 ब्रिटिश विशेषज्ञों की भारी-भरकम फौज आई थी। जानकारों के मानें तो यह विमान ब्रिटेन की शाही नौसेना के विमानवाहक पोत एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर के लड़ाकू बेड़े का हिस्सा है। दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक माने जाने वाले इस विमान की कीमत करीब 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर है। 14 जून को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपातकालीन स्थितियों में यह विमान उतारा गया था जो 22 जुलाई को दोबारा उड़ान भर सका।