कानपुर (एडीएनए)।
मध्य यूरोप में कई देशों की बीच छिड़ी जंग में ड्रोन और मिसाइलों का अत्याधुनिक प्रयोग देखने को मिला है। भारत भी अब ड्रोन और मिसाइलों को सेना की जरूरतों के हिसाब से तैयार कराएगा। इसके लिए एक करार रक्षा कंपनी ट्रूप कंफर्ट्स लिमिटेड कानपुर का आईआईटी कानपुर से हुआ है। करार के मुताबित सेना की जरुरतों के हिसाब से ही अब कॉम्बैट ड्रोन, फायर फाइटिंग और लॉजिस्टिक ड्रोन बनाए नए करार के तहत ओईएफ हथियारों को ऑपरेट करने वाला कॉम्बैट ड्रोन, फायर फाइटिंग ड्रोन भी बनाएगा। इनमें निगरानी और टोही ड्रोन भी शामिल हैं। इन ड्रोनों का इस्तेमाल सीमा पर हर स्थिति की जानकारी, खुफिया जानकारी संग्रह और संभावित खतरों की पहचान करना होता है।
वहीं, आत्मघाती ड्रोनों का प्रयोग दुश्मन के ठिकानों, बंकरों, हथियार डिपो और टैंकों को नष्ट करने के लिए होता है। ये ड्रोन लक्ष्य पर सीधे हमला करते हैं और विस्फोटक ले जा सकते हैं। वहीं, ड्यूल स्टील्थ ड्रोन दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सिग्नल्स को चकमा देने के लिए होता है। राजीव शर्मा, निदेशक (संचालन), टीसीएल कानपुर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि ओईएफ में सेना की जरूरत के लिए अब हर तरह के ड्रोन बनाए जाएंगे। आईआईटी कानपुर की डिजाइन को ध्यान में रखते हुए ओईएफ हजरतपुर और कानपुर का इंजीनियरिंग सेक्शन काम करेगा।