नई दिल्ली (एडीएनए)।
15 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनने वाला पांचवीं पीढ़ी का स्वदेशी लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को और ताकत देगा। साल 2035 तक पहले विमान के डिलीवर होने का लक्ष्य रखा गया है। पांचवीं पीढ़ी का यह स्वदेशी लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) को मजबूत बनाएगा। दुश्मनों के रडार से बचने की क्षमता और एआई तकनीकों से लैस यह विमान युद्ध जैसी स्थिति में स्वत: निर्णय लेने में भी सक्षम होगा। एएमसीए का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा विकसित किया जाएगा।
लक्ष्य भारतीय वायुसेना को एक विश्वस्तरीय स्वदेशी विमान देना है। एएमसीए या एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट सिंगल-सीट, दो इंजन और किसी भी विपरीत मौसम के लिए उपयुक्त पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा। इसे भारतीय वायुसेना के लिए डिजाइन किया गया है। इसका इस्तेमाल भारतीय नौसेना द्वारा भी किया जा सकता है। जानकारों की मानें तो इसे इस तरह से बनाया जाएगा कि यह रूस निर्मित लड़ाकू विमान सुखोई एसयू-30 एमकेआई की जगह ले सके। इस लड़ाकू विमान का वजन करीब 25 टन के आसपास होगा और यह राफेल और सुखोई से छोटा लेकिन कारगर होगा। इसकी रेंज एक हजार किलोमीटर हो आसपास होगी।