नई दिल्ली (एडीएनए)।
बीते दिनों पाकिस्तान से बढ़े तनाव के मद्देनजर और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय सेना अपनी सैन्य क्षमताओं में बढ़ोतरी करने में जुटी है। जल्द ही लंबी दूरी की मिसाइलों को शामिल किया जाएगा। रक्षा अधिकारियों की मानें तो वायुसेना हवा से जमीन, हवा से हवा और सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों सहित विभिन्न श्रेणियों में 200 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली मिसाइलों को शामिल करने को प्राथमिकता दे रही है। इसके लिए डीआरडीओ को प्रोजेक्ट कुशा के तहत इस तरह के मिसाइल बनाने का अनुरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके अलावा वायुसेना रूसी आर-37 मिसाइल प्राप्त करने की संभावना तलाश रही है। यह मिसाइल पश्चिमी और उत्तरी, दोनों मोर्चों पर दुश्मनों के खिलाफ बढ़त प्रदान कर सकती है। ताजा अभियानों में लंबी दूरी के हथियारों ने भारतीय वायुसेना को 250-450 किलोमीटर की दूरी से लक्ष्यों पर प्रहार करने में सक्षम बनाया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायु सेना ने ब्रह्मोस, स्कैल्प, रैम्पेज और क्रिस्टल मेज जैसी मिसाइलों को तैनात किया, जिनकी मारक क्षमता 200 किलोमीटर से भी अधिक है। लंबी दूरी की मिसाइलों के अलावा भारतीय वायुसेना एस-400 वायु रक्षा प्रणाली के कम से कम दो या अधिक स्क्वाड्रन खरीदने की योजना बना रही है।