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अमेरिका के राइट ब्रदर्स नहीं भारत के संस्कृत के विद्वान मराठा ‘तलपड़े’ ने बनाया पहला हवाई जहाज

दिल्ली (एडीएनए)।   

 कोई बड़ी-बड़ी बातें करने लगे तो कहते हैं न.. ये बहुत उड़ रहा है। वाकई सवा र्सौ साल पहले तक उड़ना एक असंभव काम ही था। चिड़ियों की तरह उड़ने की आम आदमी की कल्पनाओं का जिक्र पुराने साहित्य में खूब मिलता है।  पुराणों व अन्य प्राचीन ग्रंथों में कई तरह के विमानों का जिक्र मिलता है। जिससे यह तय है कि हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले जहाज बनाया या नहीं, उसका ख्याल जरूर उनके जेहन में था। अब आइए आधुनिक ईंधन से उड़ने वाले जहाज पर। इसके आविष्कार का श्रेय अमेरिका के राइट ब्रदर्स को दिया जाता है। लेकिन इतिहास के पन्नों में एक ऐसे भारतीय वैज्ञानिक का नाम दर्ज है, जिसने राइट ब्रदर्स से भी पहले जहाज बनाया। उससे एक सफल उड़ान भरी  लेकिन समय की गति में उसका योगदान धूमिल हो गया। यह थे संस्कृत के विद्वान शिवकर बापूजी तलपड़े। एक महाराष्ट्रीयन संस्कृत विद्वान और वैज्ञानिक। कहा जाता है कि 1895 में मुंबई में अपने स्वनिर्मित विमान "मरुतसखा" के जरिए उन्होंने धरती की पहली मानवरहित उड़ान का सफल प्रदर्शन किया था।

भारत के पौराणिक विमान: प्राचीन विज्ञान की अद्भुत तकनीक या कल्पना?
पुराणों और प्राचीन ग्रंथों में वर्णित "विमानों" को लेकर एक बार फिर चर्चा तेज हो गई है। वैज्ञानिक, इतिहासकार और पौराणिक कथाओं के शोधकर्ता इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या हज़ारों साल पहले भारत में उड़न खटोले (विमान) जैसी तकनीक मौजूद थी।
क्या कहते हैं प्राचीन ग्रंथ?
हिंदू पौराणिक ग्रंथों जैसे रामायण, महाभारत, वायु पुराण और समरांगण सूत्रधारा में विमानों का विस्तृत वर्णन मिलता है। रामायण में पुष्पक विमान का जिक्र है, जिसे कुबेर ने बनाया और रावण ने हथिया लिया था। महाभारत में भी श्रीकृष्ण और अर्जुन के सौभा विमान की कथा मिलती है। समरांगण सूत्रधारा (एक संस्कृत ग्रंथ) में विमान बनाने की तकनीक, धातुओं के मिश्रण और यंत्रों का वर्णन है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह प्राचीन भारत में वैमानिकी विज्ञान के उन्नत ज्ञान का प्रमाण है। आइए बताते हैं उड़ानों से संबंधित कुछ ग्रंथों के बारे में।

विमान शास्त्र 
यह एक संस्कृत ग्रंथ है, जिसे महर्षि भरद्वाज के नाम से जोड़ा जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के विमानों के निर्माण, उनके प्रकार, उड़ान तकनीक और सामग्री का वर्णन है। हालांकि, इस ग्रंथ की प्रामाणिकता और कालखंड को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ इसे प्राचीन मानते हैं, जबकि अन्य इसे अपेक्षाकृत नया (19वीं-20वीं सदी) मानते हैं। इसमें "पुष्पक विमान" जैसे यानों का उल्लेख है, जो उन्नत तकनीक से सुसज्जित थे।

रामायण
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में "पुष्पक विमान" का उल्लेख मिलता है, जो एक उड़ने वाला रथ था। यह कुबेर का था, जिसे बाद में उसके सौतेले भाई रावण ने छीन लिया। रावण वध के बाद यह भगवान राम को प्राप्त हुआ। इसका वर्णन एक शानदार, स्वचालित उड़ने वाले यान के रूप में किया गया है, जो इच्छानुसार गति और दिशा बदल सकता था।

महाभारत 
महाभारत में भी उड़ने वाले यानों का उल्लेख है। उदाहरण के लिए, मयासुर द्वारा बनाए गए यान और कुछ अन्य युद्ध-संबंधी उड़ने वाले उपकरणों का जिक्र मिलता है। इसमें शकुनि और अन्य पात्रों द्वारा उपयोग किए गए उन्नत यानों का भी संदर्भ है।

सामरंगण सूत्रधार
राजा भोज द्वारा रचित इस ग्रंथ में वास्तुशास्त्र और यांत्रिकी का वर्णन है। इसमें उड़ने वाली मशीनों और यांत्रिक उपकरणों का उल्लेख है, जो विमानों की अवधारणा से मिलता-जुलता है। पुराण और अन्य ग्रंथ:विभिन्न पुराणों (जैसे विष्णु पुराण, भागवत पुराण) में देवताओं और असुरों के उड़ने वाले रथों या यानों का वर्णन मिलता है। ये यान अक्सर अलौकिक शक्तियों से संचालित बताए गए हैं।

भारतीय पौराणिक कथाओं में विमानों का उल्लेख मिलता है, जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे रामायण, महाभारत और विमानिका शास्त्र में वर्णित हैं। ये विमान अद्भुत तकनीकी क्षमताओं वाले बताए गए हैं। नीचे कुछ प्रसिद्ध पौराणिक विमानों के बारे में जानकारी और उनकी संभावित काल्पनिक रेखाचित्र दिए गए हैं।

पुष्पक विमान 
स्रोत: रामायण (लंका के राजा रावण का विमान, बाद में भगवान राम द्वारा उपयोग किया गया)।
विशेषताएं: सोने से निर्मित, विशाल, स्वचालित और इच्छानुसार आकार बदलने वाला।
इमेज डि्क्रिरप्शन: एक चमकदार सुनहरा विमान जिसमें जटिल नक्काशी और मंदिर जैसी संरचना हो। यह आकाश में उड़ते हुए दिखाई देता है, जिसमें कई मंजिलें और ध्वजाएँ लगी हों।

वैमानिका शास्त्र में वर्णित विमान
स्रोत: ऋषि भारद्वाज द्वारा रचित वैमानिका शास्त्र (प्राचीन विमान विज्ञान पर ग्रंथ)।
विशेषताएँ: अलग-अलग प्रकार के विमान (जैसे रुक्म विमान, सुंदर विमान), जिनमें से कुछ अंतरिक्ष यात्रा करने में सक्षम थे।
इमेज डि्क्रिरप्शन: एक उन्नत डिज़ाइन वाला धातु का विमान जिसमें गोलाकार या त्रिकोणीय आकार हो। इसमें जेट जैसी संरचना और अज्ञात ऊर्जा स्रोत से चलने वाले इंजन दिखाई देते हैं।

शकुन विमान (महाभारत)
स्रोत: महाभारत में कर्ण और कौरवों द्वारा उपयोग किया गया।
विशेषताएं: युद्ध के लिए उपयोग किया जाने वाला विमान।
इमेज डि्क्रिरप्शन: एक रथ जैसा दिखने वाला विमान जिसमें धनुष और तीरों से सुसज्जित योद्धा बैठे हों। आसपास आग्नेयास्त्रों जैसे हथियार दिखाई दें।

अगस्त्य ऋषि का विमान
स्रोत: कुछ पुराणों में ऋषि अगस्त्य द्वारा उड़ान भरने का उल्लेख।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक वैज्ञानिकों का एक वर्ग इसे "काल्पनिक" मानता है, जबकि कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इन ग्रंथों में छिपे वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने की जरूरत है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी एक बार कहा था कि "प्राचीन भारतीय ग्रंथों में विज्ञान के गूढ़ रहस्य छिपे हैं।"

विमान शास्त्र और आधुनिक अनुसंधान
20वीं सदी में कर्नल कर्नाड (एक भारतीय शोधकर्ता) ने "विमानिका शास्त्र" नामक एक पांडुलिपि की खोज की, जिसमें विमानों के डिजाइन और संचालन के बारे में विस्तृत जानकारी थी। हालांकि, इसकी प्रामाणिकता पर संदेह भी जताया जाता है। क्या वाकई प्राचीन भारत में विमान थे? यह सवाल अभी भी बना हुआ है। लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि भारतीय पौराणिक साहित्य में विज्ञान और तकनीक की गहरी समझ झलकती है। आज का भारत जिस तरह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, शायद वह प्राचीन ज्ञान की ही एक निरंतरता है।

1500 फीट ऊंचाई तक उड़ा शिवकर बापूजी तलपड़े का जहाज

हवाई जहाज़ के आविष्कार का श्रेय अक्सर अमेरिका के राइट ब्रदर्स को दिया जाता है, लेकिन इतिहास के पन्नों में एक भारतीय वैज्ञानिक का नाम भी दर्ज है, जिन्होंने राइट ब्रदर्स से भी आठ साल पहले ही भारत ने विमान बना लिया था, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता ने इस सच को छुपा दिया। शिवकर बापूजी तलपड़े, एक महाराष्ट्रीयन संस्कृत विद्वान और वैज्ञानिक, ने 1895 में मुंबई में अपने स्वनिर्मित विमान "मरुतसखा" से पहली मानवरहित उड़ान का सफल प्रदर्शन किया था। ऐसा माना जाता है कि तलपड़े का विमान 1,500 फीट की ऊंचाई तक उड़ चुका था। स्थानीय वास्तुकार प्रताप वेलकर, जिन्होंने तलपड़े के जीवन पर शोध कर किताब लिखी, उनके अनुसार यह थोड़ी ऊंचाई तक ऊपर उठा था और फिर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दावा किया गया है कि इसमें ईंधन के रूप में पारा  का इस्तेमाल किया गया था। 

कौन थे शिवकर बापूजी तलपड़े?
तलपड़े एक स्व-शिक्षित वैज्ञानिक थे, जिन्होंने संस्कृत ग्रंथों और प्राचीन भारतीय विज्ञान से प्रेरणा लेकर विमान बनाया। उनके विमान का डिज़ाइन वैदिक ग्रंथों में वर्णित "विमान शास्त्र" पर आधारित था और इसमें पारा (मक्र्युरी) से चलने वाला एक अनोखा इंजन लगा था। 1895 में चौपाटी बीच पर हुई इस उड़ान को कई गवाहों ने देखा था, लेकिन ब्रिटिश शासन ने इस उपलब्धि को दबा दिया।

इतिहास क्यों भूल गया तलपड़े को?
ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने तलपड़े के शोध को वित्तीय सहायता देने से इनकार कर दिया और उनके आविष्कार को प्रोत्साहित नहीं किया। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, राइट ब्रदर्स से पहले उड़ान भरने के बावजूद, तलपड़े को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिली। आज भी उनका नाम भारतीय विज्ञान के इतिहास में गुमनामी के अंधेरे में है।
भारत को फिर से याद करना होगा अपने हीरो को, आज जब भारत अंतरिक्ष और विमानन क्षेत्र में नई उचाइयां छू रहा है, तब शिवकर बापूजी तलपड़े जैसे विज्ञान पायनियर्स को याद करने, मराठी और हिंदी में लिखे उनके शोध पत्रों को फिर से खंगालने की जरूरत है। 
(स्रोत: "वैमानिकी शास्त्र" (शिवकर बापूजी तलपड़े), मराठी शोध पत्र, बॉम्बे गैज़ेट अभिलेख (1895)

जो दुनिया जानती है
राइट बंधुओ, ऑरविल और विल्बर राइट ने 17 दिसंबर, 1903 में मानव इतिहास में पहली बार एक इंजन-चालित विमान से उड़ान भरी। "राइट फ्लायर" नामक अपने विमान से उन्होंने उत्तरी कैरोलिना, अमेरिका में 12 सेकंड की पहली सफल उड़ान भरी, जिसने 120 फीट की दूरी तय की। इस ऐतिहासिक घटना को ही लोग आधुनिक विमानन युग की शुरुआत मानते हैं।

विमानन के विकास की मील के पत्थर:
1.    1914: पहली वाणिज्यिक उड़ान-फ्लोरिडा में सेंट पीटर्सबर्ग और टाम्पा के बीच हवाई नाव (सीप्लेन) सेवा शुरू हुई।
2.    1927: चार्ल्स लिंडबर्ग ने अटलांटिक महासागर को पार करने वाली पहली  एकांत उड़ान भरी।
3.    1930: डगलस ने यात्री उड़ानों को आम बनाया।
4.    1952: दुनिया का पहला जेट-पावर्ड यात्री विमान डी हैविलैंड कॉमेट लॉन्च हुआ।
5.    1969: बोइंग 747 "जंबो जेट" ने विशालकाय यात्री विमानों का युग शुरू किया।
6.    2007: एयरबस अ380, दुनिया का सबसे बड़ा यात्री विमान, सेवा में आया।

भविष्य की उड़ान:
ड्ट    हाइपरसोनिक विमान (मच 5+ की गति) और इलेक्ट्रिक विमान (जैसे एविएशन एलिस) पर शोध जारी है।
ड्ट    स्वायत्त (बिना पायलट) यात्री विमान टेस्ला जैसी कंपनियों की प्राथमिकता में बन रहे हैं।
ड्ट    स्पेस टूरिज्म (जैसे वर्जिन गैलेक्टिक और ब्लू ओरिजिन) ने नए युग की शुरुआत की है।

 

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