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150 किमी तक उड़ान भरेगा आईआईटी कानपुर का ज्योतिरथ

 कानपुर (एडीएनए)। 

भारतीय सेना अब पाकिस्तान या अन्य दुश्मनों की सीमा तक नहीं बल्कि 150 किमी अंदर तक के इलाकों पर नजर रख सकेगा। इसके लिए आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप मराल एयरोस्पेस प्रा. लि. ने एक ड्रोन ज्योतिरथ विकसित किया है। जो पूरी तरह सौर ऊर्जा से संचालित है और 150 किमी की दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम है। यह ड्रोन सर्विलांस या आपदा के समय सैनिकों तक जरूरी राहत सामग्री पहुंचाने में मददगार होगा। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने पांच दिन पहले दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में इस ड्रोन को लांच किया है। इस ज्योतिरथ को दो साल की रिसर्च के बाद विकसित किया गया है।  

मराल एयरोस्पेस के सीईओ विवेक कुमार पांडेय ने इस ड्रोन (ज्योतिरथ) को सेना की ओर से बताई गई विभिन्न चुनौतियों को ध्यान में रख तैयार किया गया है। ड्रोन का संचालन पूरी तरह सोलर ऊर्जा से होगा लेकिन, विषम परिस्थितियों के लिए इसमें एक बैटरी भी लगाई गई है। यह ड्रोन लगातार आसमान में 12 घंटे तक उड़ान भर सकता है। साथ ही, इसमें तीन किग्रा तक वजन उठान की भी क्षमता है। जिससे इमरजेंसी के दौरान यह ड्रोन हथियार या अन्य आपदा सामग्री सैनिकों तक पहुंचाने में मददगार होगा। ड्रोन में एक बैटरी भी लगाई गई है। जिसकी मदद से ड्रोन सौर ऊर्जा से चार्ज न होने की स्थिति में भी 50 किमी की दूरी तय कर सकता है। ड्रोन समुद्र तल से पांच किमी की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है।

सोलर प्लेट से बने हैं ज्योतिरथ के विंग्स
विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि ड्रोन (ज्योतिरथ) के विंग्स सोलर प्लेट से बनाए गए हैं। जिससे वह धूप से चार्ज हो जाते हैं। इस ड्रोन की डिजाइन ऐसी है कि तेज हवा या बारिश में भी संतुलन की स्थिति में रहता है। ड्रोन में लगी बैटरी बादलों की स्थिति में आने वाली चार्जिंग की दिक्कत को खत्म करेगी। विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि वर्तमान में देश में जिन ड्रोन का सर्वाधिक उपयोग हो रहा है, वे 10 से 20 किमी की दूरी और दो से तीन घंटे की उड़ान भरने में सक्षम है। उनकी तुलना में यह ड्रोन कई गुना ज्यादा 12 घंटे तक उड़ान भरने और 150 किलोमीटर तक की दूरी तय करने में सक्षम है।  मराल एयरोस्पेस के विवेक कुमार पांडेय ने बताया कि इस ड्रोन का प्रमुख इस्तेमाल सर्विलांस और आपदा पीड़ितों का पता लगाने में किया जाएगा। ड्रोन का इस्तेमाल करने में सेना, एयरफोर्स और नेवी ने भी रुचि दिखाई है। अभी वार्ता चल रही है। ड्रोन में दो तरह के कैमरे लगे हैं, जिनसे टारगेट की क्लोज वॉचिंग और मॉनिटरिंग करना आसान होगा। उन्होंने बताया कि इसकी फाइनल उड़ान सितंबर माह में कराने की तैयारी है।

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