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दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए वरदान बना हरिकेन

नई दिल्ली (एडीएनए)।

विभिन्न युद्धों और विशेष मौकों पर देश-विदेश के कुछ विशेष विमानों ने ऐसा काम किया है जो आज तक याद किया जाता है। जब भी लड़ाकू और टोही विमानों की तकनीकी की बात होती है इन पुराने विमानों को याद किया जाता है। इन वमानों ने ऐसा क्या किया है जिससे आज भी जब ऐसे मौके आते हैं हम उनको याद करते हैं...हम बताएं कौन से थे वह विमान और क्या थी उनकी खूबी..।

शुरुआत कर रहे हैं ब्रिटेन का हॉकर हरिकेन को जो कई मायनों में अन्य लड़ाकू विमानों से अव्वल रहा। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यह ब्रिटेन के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। हरिकेन सिंगल सीटर लड़ाकू विमान था जिसे हॉकर एयरक्रॉफ्ट लिमिटेड ने 1930-40 के दशक में बनाया था।

हरिकेन की बनावट : हॉकर हरिकेन की बनावट लाजवाब थी। इसको आठ विंग माउंटेड मशीन गन और 12 सिलेंडरों से लैश किया गया था। रोल्स रॉयल का दमदार इंजन था जिसे मर्लिन के नाम से जाना गया। इसके कैमरों इतने दमदार थे कि दुश्मन की हर निगाह को पलभर में भांप लेते थे।

हरिकेन की खासियत : हॉकर हरिकेन अपनी तमाम खूबियों के लिए भी जाना गया। वैसे देखा जाए तो ब्रिटेन के पास सैकड़ों लड़ाकू विमान हैं लेकिन हरिकेन का जोड़ अभी तक नहीं मिला। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान माल्टा और पश्चिमी रेगिस्तान में हरिकेन ने विजयी भूमिका निभाई। इसका उपयोग बमवर्षक विमानों को बचाने और जमीन लक्ष्यों पर हमला करने के लिए उपयोग में किया जाता था। इतिहास गवाह है कि हरिकेन का उपयोग श्रीलंका और म्यांमार जैसे दूर के देशों में भी किया गया। यही नहीं, इसका उपयोग अटलांटिक क्षेत्रों में रक्षा के लिए किया गया। इसका उपयोग रॉयल नेवी और रॉयल कैनेडियन नेवी दोनों ने किया।

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