कानपुर (एडीएनए)।
युद्ध के दौरान भारतीय सेना के साथ कंधा मिलाकर लड़ने को कानपुर के ड्रोन पूरी तरह तैयार हैं। ये ड्रोन सिर्फ सैनिकों तक भोजन सामग्री या दवाओं के साथ हथियार पहुंचाने में मदद नहीं करेंगे बल्कि दुश्मन की सीमा के अंदर घुसकर उनके ठिकानों को भी नेस्तनाबूत कर देंगे। यह ड्रोन सीमा के साथ ऊंची पहाड़ियों और सुदूर इलाकों में दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखेंगे। आईआईटी कानपुर में विकसित ऐसे 30 से अधिक ड्रोन भारतीय सेना में शामिल हो चुके हैं। यहां की वैज्ञानिकों की टीम वर्तमान जरूरत और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले को देखते हुए ड्रोन को और मजबूत करने का प्रयास कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर के बाद सेना के अधिकारी आईआईटी कानपुर में ड्रोन की बारीकियां परख चुके हैं। अधिकारियों ने जो बदलाव के सुझाव दिए थे उन पर वैज्ञानिकों की टीम काम कर रही है। आईआईटी ने बड़े स्तर पर ड्रोन निरामाण के लिए पाथ ग्रुप के साथ समझौता किया है।
अनमैंड एयर व्हीकल के क्षेत्र में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक और स्टार्टअप्स टीम बेहतरीन काम कर रही है। आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक का इंड्योरएयर और प्रो. सुब्रमण्यम सडरेला का वीयु डायनामिक्स स्टार्टअप नई तकनीक के ड्रोन विकसित कर सेना मजबूत बना रहा है। वर्तमान में आत्मघाती ड्रोन से लेकर आपदा में राहत सामग्री पहुंचाने, पहाड़ी इलाकों में हथियार या बारूद के साथ दवा, भोजन आदि पहुंचाने के अलावा सर्विलांस में रियल टाइम ऑब्जेक्ट का कांसेप्ट देने वाले ड्रोन विकसित हो रहे हैं। इनमें से कुछ ड्रोन का उपयोग सेना या स्थानीय प्रशासन कई गंभीर घटनाओं के दौरान कर भी चुका है।
नए ड्रोन रडार से सुरक्षित
आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अभिषेक ने बताया कि वर्तमान में विकसित हो रहे नए ड्रोन को रडार मुक्त टेक्नोलॉजी से लैस बनाया जा रहा है। जिससे वे दुश्मनों के इलाके में घुस कर निगरानी कर सकेंगे और उन्हें पता नहीं चलेगा। आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. सुब्रमण्यम सडरेला ने बताया कि देश की सुरक्षा और शांति के लिए सैनिकों के साथ-साथ ड्रोन की सेना भी जरूरी है। वर्तमान में एक-एक ड्रोन नहीं बल्कि स्वार्म ड्रोन (ड्रोन का झुंड) की जरूरत है। जो अधिक दूरी तक निगरानी करने के साथ दुश्मनों को जवाब देने में सक्षम होंगे। ड्रोन के राडर सिग्नेचर को कम करने के अनुसार डिजाइन बनाई जा रही है। जो गुप्त ऑपरेशन में सक्षम होंगे। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल के अनुसार संस्थान में ड्रोन का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित है। संस्थान के दो वैज्ञानिक नवाचार कर भारतीय सेना और देश की जरूरत के अनुसार ड्रोन विकसित कर रहे हैं। वर्तमान में संस्थान के करीब 30 ड्रोन भारतीय सेना में शामिल हैं। वर्तमान में भी नई चुनौतियों पर वैज्ञानिक व स्टार्टअप्स की टीम नवाचार कर रही है।
100 किमी दूर दुश्मन के ठिकाने तबाह कर देगा कॉमिकेज ड्रोन
दुश्मनों की सीमा पर मौजूद जवानों के बावजूद ड्रोन 100 किमी अंदर बने दुश्मनों के ठिकानों को तबाह कर देंगे। आईआईटी के वीयू डायनामिक्स ने कॉमिकेज ड्रोन विकसित किया है। यह ड्रोन हवाई पट्टी के बजाए लांचर से लांच किया जाएगा। ड्रोन को लांच करने से पहले उसमें रूटमैप व अन्य जानकारी अपलोड की जाती है। जिससे जीपीएस फेल होने के बावजूद ड्रोन निश्चित टॉरगेट पर ही हमला करता है। यह पूरी तरह स्वदेशी है। कॉमिकेज एक आत्मघाती ड्रोन है। इसकी पेलोड क्षमता छह किलो तक बारूद ले जाने की है और रेंज 100 किमी है। यह 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भऱ सकता है।
200 किमी तक नजर रखेगा एयरोस्टेट
दुश्मन देश ही नहीं बल्कि आंतरिक दंगे या कर्फ्यू जैसी स्थिति में भी यह ड्रोन अकेले 200 किमी की रेंज में निगरानी करेगा। इसे आईआईटी के वीयू डायनामिक्स ने विकसित किया है और इसका नाम एयरोस्टेट है। यह समुद्र तल से 5 किमी ऊपर तक उड़ सकता है और ऊंचाई से भी जमीन तक निगरानी करने में सक्षम है। यह तेज हवाओं में भी सटीक निगरानी करने के साथ क्लियर फोटो व वीडियो उपलब्ध कराने में सक्षम है। यह रियल टाइम ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग मॉड्यूल से लैस है। इसका उपयोग अयोध्या फैसला और सीएए बवाल के दौरान सफलता पूर्वक किया गया है। एयरोस्टेट एक बैलून रूपी ड्रोन है जो दो घंटे तक लगातार उड़ सकता है। यह समुद्र तल से पांच किमी ऊपर उड़ सकता है और इसकी रेंज 200 किमी है।
तूफान में भी सुदूर इलाकों तक हथियार और भोजन पहुंचाएगा सबल
आईआईटी कानपुर के इंड्योरएयर स्टार्टअप ने सुदूर या पहाड़ी इलाकों तक हथियार, बारूद, दवाएं, भोजन या अन्य उपकरण वाला ड्रोन विकसित किया है। यह ड्रोन तेज हवाओं में भी जीपीएस और उन्नत ऑटोपायलट सिस्टम की मदद से सामान को सुरक्षित और निश्चित स्थान तक पहुंचाएगा। इस ड्रोन को ऊबड़-खाबड़ इलाकों और प्रतिकूल मौसम के लिए ही तैयार किया गया है। सबल ड्रोन की खासियत के बारे में देखें तो इसका प्रकार - टेंडेम रोटर इलेक्ट्रिक यूएवी और पेलोड क्षमता 20 किलो है। इसकी उड़ान क्षमता 40 मिनट और रेंज 10 किमी है।
खिड़की से घर के अंदर तक अलख की निगरानी
दुश्मनों के ठिकानों के साथ खंडहर, भवन या घर के अंदर क्या चहलकदमी चल रही है, इसकी जानकारी भी यह नैनो ड्रोन देगा। आईआईटी के इंड्योरएयर ने यह ड्रोन विकसित किया है, जिसे ऑटोमेटिक और मैन्युल दोनों माध्यम से ऑपरेट किया जा सकता है। यह सेना के लिए जरूरी उपकरण ले जाने के साथ सर्विलांस में मदद करेगा। यह छोटा होने के कारण निगरानी में अधिक सक्षम है। इसमें तीन गुना जूम सुविधा वाले 1080 पिक्सल फुल एचडी रिजाल्युशन में रिकार्डिंग वाले कैमरा सेंसर लगे हैं। अलख ड्रोन का प्रकार नैनो और उड़ने की क्षमता 30 मिनट है। इसकी रेंज 02 किमी और पेलोड क्षमता 800 ग्राम है।
आसमान से दुश्मनों पर विभ्रम की नजर
दुश्मनों के साथ भारतीय संपत्ति या संवेदनशील इलाकों की दिन-रात दोनों समय निरंतर निगेहबानी भी अब ड्रोन करेगा। आईआईटी के इंड्योरएयर ने विभ्रम ड्रोन विकसित किया है। जो ड्रोन की तरह काम करता है लेकिन उड़ान हेलीकॉप्टर की तरह भरता है। यह ड्रोन गैसोलीन से चलता है, जो इलेक्ट्रिक ड्रोन की तुलना में लंबी उड़ान में सक्षम है। यह काफी देर तक स्थिर रहकर आसमां से एक सामान्य व्यक्ति की आंख की तरह निगरानी कर रिपोर्ट देने में सक्षम है। यह 50 किमी तक सामग्री पहुंचा सकता है। विभ्रम
एक गैसोलीन से चलने वाला हेलीकॉप्टर ड्रोन है जिसकी पेलोड क्षमता दो किलो और उड़ने की क्षमता 180 मिनट है, इसकी रेंज 50 किमी है।