नई दिल्ली, (एडीएनए)।
भारत ने पाकिस्तान के साथ सैन्य टकरावों के अलावा कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ी जीत हासिल की है। हाल के वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों, वैश्विक मंचों और प्रमुख देशों का समर्थन हासिल कर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफलता पाई है। ताजा घटनाक्रमों ने एक बार फिर साबित किया है कि भारत की कूटनीति दुनिया भर में अपना प्रभाव बढ़ा रही है।
पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला और फिर युद्ध के दौरान भारत लगातार दुनिया के तमाम देशों के संपर्क में रहा और उनको हर घटनाक्रम से अवगत कराता रहा, इससे तमाम देशों को यह समझाने में मुश्किल नहीं आयी कि पाकिस्तान आतंकियों की सीधे तौर पर मदद करता है और दुनिया के लिए वह बड़ा खतरा है। युद्ध के बाद सारे दलों के सांसदों को लेकर तमाम देशों में प्रतिनिधि मंडल भेजने का फैसला भी इसी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, इससे शायद हम दुनिया को यह समझाने में कामयाब होंगे कि पाकिस्तान न केवल आतंकी देश है बल्कि के उसके परमाणु हथियार भी कभी भी आतंकियों के हाथ में आ सकते हैं।
FATF में पाकिस्तान की लगातार बदहाली
- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को 2018 से 'ग्रे लिस्ट' में रखा, जिसका मुख्य कारण आतंकवाद को वित्तीय सहायता देना था।
- भारत के लगातार दबाव के बाद 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाया गया, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर हो चुकी थी।
- अब FATF की नई रिपोर्ट में पाकिस्तान पर "आतंकवादी वित्तपोषण पर कार्रवाई में ढिलाई" के आरोप लगे हैं, जिससे उसकी छवि फिर धूमिल हुई है।
G20 शिखर सम्मेलन: जम्मू-कश्मीर में आयोजन कर भारत ने दिखाई ताकत
- 2023 में भारत ने G20 की टूरिज्म वर्किंग ग्रुप मीटिंग श्रीनगर में आयोजित की, जिसमें चीन, तुर्की और सऊदी अरब को छोड़कर सभी सदस्य देशों ने भाग लिया।
- इस आयोजन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संदेश दिया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जबकि पाकिस्तान की आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की बढ़ती पकड़, पाकिस्तान को निरंतर हार
- UNSC में भारत ने 2021-22 में अस्थाई सदस्य के रूप में अपनी मजबूत भूमिका निभाई और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरा।
- मसूद अजहर, हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को वैश्विक स्तर पर ब्लैकलिस्ट कराने में भारत को सफलता मिली।
- हाल ही में, UN में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाने के प्रयासों को भारत ने ध्वस्त किया, और अधिकांश देशों ने भारत के पक्ष में रुख अपनाया।
अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी से पाकिस्तान को झटका
- अमेरिका ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान को सैन्य सहायता में कटौती की, जबकि भारत के साथ QUAD, iCET (इंडिया-अमेरिका क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप) जैसे समझौतों को मजबूत किया।
- रक्षा सौदों में अमेरिका ने भारत को F414 जैसे इंजन ट्रांसफर की अनुमति दी, जबकि पाकिस्तान को केवल पुराने F-16 के हिस्से मिले।
पड़ोसी देशों में पाकिस्तान की घटती पकड़
- बांग्लादेश ने पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत के साथ रक्षा समझौते किए।
- अफगानिस्तान (तालिबान शासन) ने भी दुर्रंड लाइन को लेकर पाकिस्तान के दावों को चुनौती दी।
- नेपाल और श्रीलंका में भारत के बढ़ते निवेश ने पाकिस्तान की कूटनीतिक कोशिशों को धीमा किया है।
क्यों भारत कूटनीति में आगे?
- रणनीतिक संयम: भारत ने सैन्य कार्रवाई के बाद भी कूटनीतिक प्रयास जारी रखे।
- आर्थिक ताकत: भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था ने उसे वैश्विक महत्व दिया।
- डायप्लोमेटिक नेटवर्क: अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व और रूस के साथ संबंधों को संतुलित रखा।